#NindakNiyre: मुस्लिम प्रधान सीट से आखिर क्यों चुनाव लड़ना चाहते हैं नरेंद्र मोदी?
#NindakNiyre: मुस्लिम प्रधान सीट से आखिर क्यों चुनाव लड़ना चाहते हैं नरेंद्र मोदी? nindakniyre-modi will contest from Muslim dominance seat
modi will contest from Muslim dominance seat
बरुण सखाजी. सह-कार्यकारी संपादक, IBC-24
modi will contest from Muslim dominance seat : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2024 का चुनाव एक ऐसी सीट से लड़ सकते हैं, जहां मुस्लिम समुदाय का बाहुल्य है। जहां वर्तमान में ऑल इंडिया मुस्लिम लीग का कब्जा है। ऐसी सीट जहां 2 लाख से अधिक मतों से मुस्लिम लीग जीती। जिस मोदी सरकार पर मुस्लिमों की उपेक्षा का राजनीतिक आरोप लगता रहता है वह आखिर कैसे ऐसी सीट से जीत पाएगी। जिन मोदी को एंटी मुस्लिम के रूप में गुजरात दंगों के बाद से ही पेश किया जाता रहा हो वे कैसे इस सीट से जीत पाएंगे। आखिर क्या कारण है कि मोदी इस सीट से लड़ने जा रहे हैं। आइए समझते हैं।
पहले सीट समझते हैं
modi will contest from Muslim dominance seat : यह सीट है तमिलनाडु की रामनाथपुरम। दक्षिण-पूर्वी तमिलनाडु के सागर तट पर बसी इस सीट में 6 विधानसभा क्षेत्र एससी आरक्षित माना मदुरै, परमकुडी, अनारक्षित रामनाथपुरम, कड़ालड़ी, मुदकुलथुर, अरुपपुकट्टई आते हैं। यहा 1951 से ही अस्तित्व में है। 2008 में परिसीमन से क्षेत्र बदल गए, सीट वही रही। यहां लगभग साढ़े 15 लाख वोटर्स हैं। आमतौर पर 80 फीसद तक मतदान होता रहा है। अभी तक 17 बार चुनाव हो चुके हैं। इनमें 3 बार मुस्लिम सांसद चुने गए हैं। 6 बार कांग्रेस, 4 बार एआईडीएमके, 3 बार डीएमके, एक बार निर्दलीय, मुस्लिम लीग, फॉरवर्ड ब्लॉक और जीके मूपनार की मनीला कांग्रेस यहां से जीती है। 2014 के बाद से यहां लगातार मुस्लिम प्रत्याशी जीत रहे हैं। 2019 में भाजपा के प्रत्याशी नैहर नागेंद्र 1 लाख 28 हजार वोटों से मुस्लिम लीग के नवाज कनी से हार गए थे। 2014 में भाजपा तीसरे नंबर पर थी। डी कुप्पुरामू ने यहां से 17 फीसद वोट हासिल किए थे। जबकि डीएमके और एआईडीएमके के बीच मुकाबले में दोनों ही मुस्लिम प्रत्याशी थे। यानि मुस्लिम प्रत्याशियों में वोट बंटवारे का भी कोई फायदा भाजपा को नहीं मिला। कह सकते हैं यह सीट खांटी मुस्लिम सीट है। यहां से पहले सांसद वीवी आर एनए आर थे, जो कांग्रेस से जीते थे। इनके बाद पी सुब्बिया अन्बलगन, एन अरुणाचलम भी कांग्रेस से जीते। फिर यह सीट निर्दलीय एसएम मुहम्मद शेरिफ के हाथ में चली गई। ये यहां के पहले मुस्लिम विजेता थे। फिर आए फॉरवर्ड ब्लॉक के मुकिया थेवर। इनके बाद पहली बार यहां एआईडीएमके के पी. अन्बलगन ने झंडा गाड़ा। एमएसके सत्येंद्रन ने पहली बार डीएमके से जीत दर्ज की। 1984 से लगातार 1991 तक कांग्रेस के वी राजेश्वरन यहां से जीते। 1996 में जीके मूपनार की बगावत के बाद मनीला कांग्रेस के एसपी उडयप्पन ने यह सीट जीती और इसके बाद कांग्रेस इस पर कभी नहीं जीत पाई। बाद में दो बार एआईडीएमके 1998 में वी सत्यमूर्ती और 1999 में के मलयस्वामी यहां से सांसद रहे। 2004 और 2009 में डीएमके से एमएसके भवानी राजेंथिरन और जेके रीतेश यहां से चुनाव जीता। 2014 में ए अनवर राजा ने एआईडीएमके से और 2019 में मुस्लिम लीग से नवाज कनी ने जीत दर्ज की। भाजपा के प्रदर्शन की बात करें तो यहां 2004 में गैरहाजिर भाजपा 2009 के चुनाव में 16 और 2014 के चुनाव में 17 फीसद वोट हासिल करती है। 2019 में यह एकदम से इजाफ करते हुए 32 फीसद वोट के साथ नंबर-2 की पार्टी बन जाती है। इस सीट पर मुस्लिम आबादी का प्रभाव इतना है कि यहां का सबसे बड़ा त्योहार भी इरवाडी है, जो सुल्तान सैयद इब्राहिम शहीद बटूशा अलीउल्लाह की याद में मनाया जाता है, जहां प्रदेशभर से लाखों लोग उमड़ते हैं। दूसरे नंबर का त्योहार अरुधरा दर्शन है, जिसमें प्राचीन मंगलनाथ स्वामी मंदिर, उथिराकोसमंगई में चंदन लेप करके रखी गई भगवान नटराज की मूर्ति के दर्शन होते हैं। इन्हें मरघट नटराज भी कहते हैं। अरुधरा त्योहार स्थानीय स्तर का होता है, जबकि इरवाडी प्रदेश स्तर का।
अब समझिए मोदी क्यों जाना चाहते हैं यहां
मोदी की छवि एंटी-मुस्लिम उनके अंतरराष्ट्रीय नेता की दौड़ में बाधक बन रही है। वे इसे जीतकर अपनी एंटी मुस्लिम छवि को तोड़ना चाहते हैं। 2019 में राहुल गांधी ने केरल की मुस्लिम बाहुल्य वायनाड सीट से जीत दर्ज की थी। इसके बाद से राहुल को निर्विवाद रूप से मुस्लिम समुदाय में स्वीकार्य राजनेता के रूप में जाना जाने लगा। इतिहास में दक्षिण भारत से इंदिरागांधी 1978 में चिकमंगलूर, 1980 में आंध्र की मेढक से लड़ चुकी हैं। 1999 में कर्नाटक की बेल्लारी सीट से सोनिया भी जीत चुकी हैं। तमिलनाडु के विधानसभा चुनावों में भाजपा को 19 फीसद वोट मिले थे। इसके उसका क्लेम थर्ड पॉवर का तो है ही, मोदी अगर रामनाथपुर से लड़ते हैं तो समझिए तमिल समेत दक्षिण की बाकी सीटों पर भी भाजपा को अच्छा रिस्पॉन्स मिल सकता है।
आखिर ये दक्षिण-उत्तर की रणनीति क्या है?
मोदी यहां से लड़ेंगे या नहीं यह कहना जल्दबाजी है, लेकिन 2024 में भाजपा की तैयारियां बहुत हाईलेवल पर शुरू हो चुकी हैं। माना जा रहा है कि मोदी को दक्षिण में एनकैश कराया जाएगा और योगी को हिंदी हार्ट लैंड संभालने का जिम्मा दिया जा सकता है। तब तक योगी को मुख्यमंत्री बने हुए 7 साल हो जाएंगे। अगर गुजरात के फॉर्मूले से कैल्कुलेट करें तो मोदी 11 वर्ष मुख्यमंत्री बनकर निखरे थे तो योगी 7 साल में तैयार होने वाले नेता सिद्ध हो सकते हैं। मान सकते हैं, मोदी का दक्षिण जाना योगी का उभार सिद्ध होगा।

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