छत्तीसगढ़ : कपटी होते हैं साधु-संत! पाठ्यक्रम में नौनिहालों को पढ़ाया जा रहा ‘पाठ’, मामले ने पकड़ा तूल

इसमें साधु की वेशभूषा में एक कपटी व्यक्ति बताते हुए पात्र परिचय दिया गया है, इसमें पठन-पाठन के लिए भी निर्देश दिया गया है कि साधु के वेश में ठगों के बारे में कक्षा में चर्चा करें।

छत्तीसगढ़ : कपटी होते हैं साधु-संत! पाठ्यक्रम में नौनिहालों को पढ़ाया जा रहा ‘पाठ’, मामले ने पकड़ा तूल
Modified Date: January 13, 2023 / 02:35 pm IST
Published Date: January 13, 2023 2:34 pm IST

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में कक्षा पांचवीं के नौनिहालों को साधु-संतों के बारे में पाठ पढ़ाकर उन्हें कपटी बताया जा रहा है… हिंदी-छत्तीसगढ़ी-संस्कृत विषय की किताब के पाठ 25 में पेज क्रमांक 129 और 130 में “चमत्कार” शीर्षक से प्रस्तुत पाठ के लेखक जाकिर अली रजनीश हैं… इसमें साधु की वेशभूषा में एक कपटी व्यक्ति बताते हुए पात्र परिचय दिया गया है, इसमें पठन-पाठन के लिए भी निर्देश दिया गया है कि साधु के वेश में ठगों के बारे में कक्षा में चर्चा करें।

साधुओं और सनातन धर्म का अपमान

राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद रायपुर की ओर से निर्मित इस किताब को लेकर अब विरोध के स्वर तेज हो गए हैं.. इस मामले में बवंडर बाबा का बयान सामने आया है, उन्होंने कहा कि साधुओं और सनातन धर्म का अपमान किया जा रहा है, संतों ने इस पाठ को पाठ्यक्रम से हटाने की मांग भी की आगामी दिनों में विरोध करने की बात भी कही।

नाटक के लेखक जाकिर अली रजनीश को जानकारी नहीं

वहीं इस नाटक के लेखक जाकिर अली रजनीश ने कहा कि उन्होंने साधु की वेशभूषा में कपटी जैसे भड़काऊ शब्द का प्रयोग नहीं किया…उनके द्वारा लिखे गए नाटक का प्रकाशन किया गया और उनसे अनुमति भी नहीं ली गई… लेखक रजनीश ने कहा कि लगभग 1997 में एक पत्रिका में एकांकी छपी थी… लेकिन वर्ष 2010 में उनके बिना अनुमति लिए ही इस पाठ को प्रकाशित कर दिया गया, अब वे छत्तीसगढ़ सरकार को नोटिस भेजकर इसका जवाब मांगेंगे।

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लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com