महंगाई ने तोड़े रिकॉर्ड, दो साल में 70 रुपए लीटर का तेल पहुंचा 210 रुपए लीटर तक

Modified Date: November 29, 2022 / 01:58 am IST
Published Date: April 13, 2022 1:39 pm IST

नई दिल्ली.

कोरोना के बाद से महंगाई अपने सबसे ऊंचे पायदान पर है। हाल ही में जारी सीपीआई स्कोर में यह 6.95 के सर्वोच्च अंक पर पहुंच गई है। अर्थशास्त्र की भाषा में यह बाजारों को तोड़ने वाला फिगर है। साल 2020 में जो चीज 100 रुपए की थी उसकी साल 2022 में कीमत 200 रुपए के पार जा चुकी है। यह हाल सिर्फ खाने-पीने की चीजों में नहीं बल्कि इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़े, जूते, बेल्ट, वॉलेट से लेकर टीवी, फ्रिज समेत हर चीज पर पड़ रहा है।

साल दर साल ऐसे बढ़ी कीमतें

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तेल ने निकाला सबसे ज्यादा तेल

खाने के तेल के दाम सबसे ज्यादा बढ़े हैं। शुरू में यह दाम अस्थायी रूप से बढ़े थे, लेकिन बाद में यह बढ़े हुए दाम पर स्थिर हो गए हैं। जो खनिज तेल साल 2020 में फरवरी के महीने तक 1100 रुपए में 15 लीटर मिल रहा था, वही कोरोना के दौरान 1200 तक पहुंचा और लॉकडाउन खुलने के बाद 1500 पर जा पहुंचा। लेकिन यह यहीं नहीं थमा। शुरू में कोरोना की आड़ लेकर बढ़ा फिर इसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 2021 दिसंबर तक इसकी कीमतें 2000 रुपए को पार कर गईं, जबकि अभी साल 2022 में अप्रैल की कीमतें 2400 के ऊपर चल रही हैं। तेल में 150 फीसद तक की वृद्धि हुई है।

कैसे घटेगी महंगाई

महंगाई अर्थशास्त्र के विभिन्न इंडीकेटर्स का अहम हिस्सा  है। इसका घटना एक लंबी प्रक्रिया है। किंतु खाने-पीने की चीजों के उत्पादन, बिक्री और बाजार को अधिक से अधिक स्थानीय बनाने से यह घट सकती है। जैसे कि जशपुर टमाटर के लिए विख्यात है तो यह टमाटर स्थानीय स्तर पर तेजी से सप्लाई हो सके और न्यूनतम दर किसानों को मिल सके तो महंगाई घट सकती है। अर्थशास्त्री वी. राघवन कहते हैं स्थानीय बाजारों को मजबूत करने से ही महंगाई स्थाई रूप से घट सकती है। लेकिन हमारे पास अभी कंजंप्शन और उत्पादन के बीच के फासले को पाटने के लिए स्थानीय फॉर्मूले हैं ही नहीं।


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Associate Executive Editor, IBC24 Digital