IBC24 Swarn Sharda Scholarship 2022 : छूटा मां बाप का साथ, लेकिन नहीं टूटा हौसला, अब आईएएस बनकर करेंगी देश सेवा

छूटा मां बाप का साथ, लेकिन नहीं टूटा हौसला! IBC24 Swarn Sharda Scholarship 2022: Success Story of 12th Topper tanisha patel

IBC24 Swarn Sharda Scholarship 2022 : छूटा मां बाप का साथ, लेकिन नहीं टूटा हौसला, अब आईएएस बनकर करेंगी देश सेवा

IBC24 Swarn Sharda Scholarship 2022

Modified Date: November 28, 2022 / 10:49 pm IST
Published Date: July 7, 2022 6:21 am IST

रायपुर। अपने सामाजिक सरोकारो को निभाते हुए IBC24 समाचार चैनल हर साल स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप सम्मान से जिले की टॉपर बेटियों को सम्मानित करता है। इस साल भी IBC24 समाचार चैनल की ओर से स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप दिया जा रहा है। IBC24 की ओर से दी जाने वाली स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप केवल टॉपर बेटियों को ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के प्रत्येक संभाग के टॉपर बेटों को भी दी जाएगी। बालोद जिले की तनिशा पटेल ने जिले का मान बढ़ाया है। 12वीं परीक्षा में 466 अंक हासिल किया। तनिशा पटेल ने शा. हा. से. स्कूल, झलमला में अपना पढ़ाई पूरी की है।

तनिशा पटेल ने कहा कि “जीवन का सबसे बड़ा संघर्ष है कि मम्मी-पापा का स्वर्गवास हो चुका है। मैं अपने बड़े पापा और बड़ी मम्मी के साथ गांव में रहकर ही पढ़ती हूं।“

मुझे आईएएस बनकर देश की सेवा में जुटना हैः तनिशा

तनिशा पटेल की जुबानी… सबका अपना संघर्ष होता है। मेरा भी ऐसा ही कुछ है। अपनी पढ़ाई के लिए ऐसी रणनीति जरूरी होती है, जो आपको थकाए नहीं। ऐसी फ्रैंडली स्ट्रेटजी से ही अच्छे अंक हासिल हो सकते हैं। मैंने रोजाना स्कूल से हटकर 4 से 5 घंटे पढ़ाई की दिनचर्या बनाई थी। हर विषय को ऐसे बांधा कि कहीं कुछ छूटे नहीं। एक तय फॉर्मेट में पढ़ाई जरूरी होती है। इससे अनुशासन बनता है। सबका अपना-अपना पढ़ाई का तौर-तरीका हो सकता है। मेरा भी ऐसा ही रहा। मैंने स्कूल शिक्षकों का भरपूर सहयोग लिया। दिन-रात का समय तय किया। अपने आपको आराम देना भी जरूरी होता है। तबियत खराब न हो इसलिए पढ़ाई से ब्रेक भी लेती थी। इससे मैं फ्रेश हो जाती। पढ़ाई के साथ कुछ खेलकूद भी जरूरी होते हैं। ताकि नयापन बना रहे। दसवीं में भी मेरे अंक 95 फीसद थे। उस वक्त भी अपनी पढ़ाई को ऐसे ही डिजाइन किया था। अभी स्कूल के लिए 3 किलोमीटर दूर तक सायकल से जाती थी। मेरे जीवन का सबसे बड़ा संघर्ष यह है कि मेरे न मां हैं न पिता। दोनों का स्वर्गवास हो चुका है। मैं अपने बड़े पापा और बड़ी मम्मी के साथ गांव में ही रहती हूं। बड़े पापा का स्नेह मिलता रहा है। बड़ी मम्मी भी प्यार करती हैं। घर पर सब्जी की बाड़ी है। बड़े पापा वन विभाग में थे, रिटायर्ड होकर यहीं सैटल हो गए। अब हम सभी परिवार के साथ यहीं रहते हैं। मैं चाहती हूं आईएएस की तैयारी करूं। इसके लिए मेरी प्लानिंग शुरू हो चुकी है। स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप के सम्मान से अभिभूत हूं।

 ⁠


लेखक के बारे में