प्रदूषण: 70 लाख मौतें हर साल हवा में घुले ज़हर से हो रही, WHO ने दिखाई सख्ती जारी की नई गाइडलाइंस..देखें

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 15 साल बाद बुधवार (22 सितंबर) को पहली बार एयर क्वालिटी गाइडलाइन्स (Air Quality Guidelines) जारी किया है, इसका उद्देश्य वायु प्रदूषण की वजह से होने वाली हार्ट और लंग्स से जुड़ी गंभीर बीमारियों और उससे मौत के मामलों को कम करना है

प्रदूषण: 70 लाख मौतें हर साल हवा में घुले ज़हर से हो रही, WHO ने दिखाई सख्ती जारी की नई गाइडलाइंस..देखें
Modified Date: November 29, 2022 / 08:54 pm IST
Published Date: September 23, 2021 11:06 am IST

Air Quality Guidelines WHO

जेनेवा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 15 साल बाद बुधवार (22 सितंबर) को पहली बार एयर क्वालिटी गाइडलाइन्स (Air Quality Guidelines) जारी किया है, इसका उद्देश्य वायु प्रदूषण की वजह से होने वाली हार्ट और लंग्स से जुड़ी गंभीर बीमारियों और उससे मौत के मामलों को कम करना है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र के 194 सदस्य देशों को जारी WHO ने नई गाइडलाइन्स में प्रदूषकों के अधिकतम अनुशंसित स्तर को घटा दिया है।

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Air Quality Guidelines WHO : नई गाइडलाइन्स में जीवाश्म ईंधन के उत्सर्जन में पाए जाने वाले पार्टिकुलेट मैटर और नाइट्रोजन डाइॉक्साइड के स्तर को घटाने की सिफारिश की है। दिशा-निर्देश में कहा गया है कि वायु प्रदूषण जलवायु परिवर्तन का कारक होने के साथ-साथ मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा खतरा है, WHO ने कहा है कि वायु प्रदूषण की वजह से पूरी दुनिया में हर साल करीब 70 लाख मौतें होती हैं और इसमें सुधार कर इतनी जानें बचाई जा सकती हैं।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लगभग सभी प्रदूषकों के मानकों के स्तर को घटा दिया है और कहा है कि इसका पालन कर पूरी दुनिया में अधिक से अधिक लोगों की जान बचाई जा सकती है, नए दिशानिर्देशों के तहत, WHO ने औसत वार्षिक PM 2.5 स्तर के लिए अनुशंसित सीमा को 10 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से घटाकर 5 कर दिया है। इसने PM10 के लिए अनुशंसित सीमा को 20 माइक्रोग्राम से घटाकर 15 कर दिया है।

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गाइडलाइन्स में कहा गया है कि अगर प्रस्तावित मानकों का पालन किया गया तो PM 2.5 से दुनियाभर में होने वाली 80 फीसदी मौतों को रोका जा सकता है। WHO ने कहा है कि पार्टिकुलेट मैटर सांस के जरिए सीधे इंसान के फेफड़ों तक पहुंच जाता है और वहां से खून में घुल-मिल जाता है, इससे इंसान की मौत हो जाती है, पीएम मैटर अधिकांशत: जीवाश्म ईंधन की वजह से परिवहन, ऊर्जा, उद्योग, कृषि उद्योग और घरों से सबसे ज्यादा उत्सर्जित होते हैं।


लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com