ST की सूची से बाहर निकाले जाएंगे ईसाई धर्म अपनाने वाले आदिवासी? मांग के विरोध में ईसाई आदिवासी महासभा

ईसाई आदिवासी महासभा ने जनजातीय सुरक्षा मंच के द्वारा डिलिस्टिंग की मांग को असंवैधानिक करार देते हुए राष्ट्रपति के नाम तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा है।

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  • Publish Date - September 4, 2022 / 06:10 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:34 PM IST

adopt Christianity be removed from the list of ST: पत्थलगांव। ईसाई धर्म अपनाने वाले आदिवासियों को भारत सरकार की अनुसूचित जनजाति की सूची से बाहर निकालने की मांग का कांसाबेल में आज पुरजोर विरोध किया गया। ईसाई आदिवासी महासभा ने जनजातीय सुरक्षा मंच के द्वारा डिलिस्टिंग की मांग को असंवैधानिक करार देते हुए राष्ट्रपति के नाम तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा है।

दरअसल, अखिल भारतीय जनजातीय सुरक्षा मंच के नेतृत्व में बीते एक साल से ईसाई धर्म अपना चुके आदिवासियों को जनजातीय सूची से बाहर करने के लिए डिलिस्टिंग की मांग की जा रही है। इस मांग को ईसाई आदिवासी महासभा असंवैधानिक बताते हुए कांसाबेल में बड़ी रैली की। रैली से पहले पब्लिक स्कूल के ग्राउंड में आमसभा रखी गई। जिसमें ईसाई समुदाय के आदिवासी नेताओं ने बताया कि डिलिस्टिंग होने से आदिवासियों की संख्या कम हो गई है अनुसूचित क्षेत्र हट जाएंगे। ऐसी स्थिति में आदिवासी कमजोर होंगे और जनप्रतिनिधि, सरकारी अधिकारी-कर्मचारी में आरक्षण का लाभ हमेशा के लिए छिन जाएगा।

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डिलिस्टिंग के विरोध में ईसाई समुदाय के लोगों ने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपकर अपना पक्ष रखते हुए जनजातीय सुरक्षा मंच की मांग को निरस्त करने की मांग की है। ईसाई आदिवासी महासभा के नेता डॉ. सी. डी. बाखला ने कहा कि कभी कभी हम देखते हैं देश में इस तरह घटनाएं होती हैं जैसे कि हमने देखा था कि दिल्ली में संविधान को जलाया गया थ, जलाया इसलिए गया था क्योंकि वह उस संविधान को मानते नहीं हैं जब नए संविधान की बात करते हैं तो वह मनु संहिता की बात करते हैं। मनु संहिता में जिस प्रकार की व्यवस्था है वह आदिवासी, दलितों और पिछड़ा वर्ग को बहुत ही नुकसानदायक है, इसलिए हम संविधान बदलने की उनकी साजिश को सफल होने नहीं देना चाहते हैं।

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इस दौरान अनिल किस्पोट्टा, प्रदेश अध्यक्ष, ईसाई आदिवासी महासभा, डॉ. पी.सी. कुजूर, प्रवक्ता ईसाई आदिवासी महासभा उपस्थित रहे।