बंबई उच्च न्यायालय ने ट्राई का 2020 का शुल्क आदेश बरकरार रखा

बंबई उच्च न्यायालय ने ट्राई का 2020 का शुल्क आदेश बरकरार रखा

बंबई उच्च न्यायालय ने ट्राई का 2020 का शुल्क आदेश बरकरार रखा
Modified Date: November 29, 2022 / 08:19 pm IST
Published Date: June 30, 2021 11:31 am IST

मुंबई, 30 जून (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) द्वारा पिछले साल जारी शुल्क से जुड़े एक आदेश की संवैधानिक वैधता को बुधवार को बरकरार रखा लेकिन उसमें शामिल एक शर्त को निरस्त कर दिया। इस शर्त के अनुसार किसी एक चैनल की कीमत चैनलों के गुच्छे के सबसे महंगे चैनल की औसत कीमत का एक-तिहाई से ज्यादा नहीं हो सकती।

न्यायमूर्ति अमजद सैयद और अनुजा प्रभुदेसाई की खंडपीठ ने कई प्रसारकों द्वारा दायर याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया। इन प्रसारकों में टीवी प्रसारकों का प्रतिनिधि संगठन इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन, फिल्म एंड टेलीविजन प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, जी इंटरटेनमेंट लिमिटेड और सोनी पिक्चर्स नेटवर्क इंडिया शामिल हैं।

गौरतलब है कि एक जनवरी, 2020 को ट्राई ने शुल्क से जुड़े नये नियम जारी किए थे।

 ⁠

नये नियमों के तहत उपभोक्ताओं को फायदा पहुंचाते हुए नेटवर्क क्षमता शुल्क (एनसीएफ) कम कर दिया गया। इससे पहले सभी फ्री-टू-एयर चैनलों के लिए 130 रुपए का अतिरिक्त शुल्क लागू था और और उपभोक्ताओं को अतिरिक्त चैनल देखने के लिए ज्यादा पैसे देने पड़ते थे।

प्रसारण क्षेत्र के शुल्कों में बदलाव के बाद उपभोक्ताओं को एनसीएफ शुल्क के तौर पर 130 रुपए का भुगतान करना होगा लेकिन वे 200 चैनल पाने के हकदार होंगे। अलग-अलग चैनलों की कीमत में बदलाव करने का भी आदेश दिया गया था।

याचिकाओं में कहा गया कि नये नियम ‘मनमाने, अनुचित हैं और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं।’

बुधवार को उच्च न्यायालय ने याचिकाओं का निपटान करते हुए कहा, ‘ट्राई द्वारा 2020 में जारी किए गए नियमों की संवैधानिक वैधता को दी गयी चुनौती असफल होती है।’

उच्च न्यायालय ने कहा, ‘चैनलों के गुच्छे में एक चैनल के औसत कीमत निर्धारण से जुड़ी शर्त मनमानी है और इसलिए इसे निरस्त किया जाता है।’

ट्राई की ओर से खड़े वरिष्ठ अधिवक्ता वेंकटेश धोंड और अधिवक्ता आशीष प्यासी ने कहा कि अन्य सम्बद्ध पक्षों ने ट्राई के आदेश का पहले ही अनुपालन कर दिया है। ट्राई की ओर से कहा गया कि यह निर्णय उपभोक्तओं के हित के लिए है और इसके माध्यम से यह सुनिश्चित कि गया है कि चैनलों की दर लगारने में कोई मनमानी न हो तथा पारदर्शिता रहे।

भाषा प्रणव मनोहर

मनोहर


लेखक के बारे में