सौर योजनाओं को लागू करने में राज्य, विकासकर्ताओं के बीच करीबी समन्वय जरूरी: संसदीय समिति

सौर योजनाओं को लागू करने में राज्य, विकासकर्ताओं के बीच करीबी समन्वय जरूरी: संसदीय समिति

सौर योजनाओं को लागू करने में राज्य, विकासकर्ताओं के बीच करीबी समन्वय जरूरी: संसदीय समिति
Modified Date: December 8, 2025 / 03:29 pm IST
Published Date: December 8, 2025 3:29 pm IST

नयी दिल्ली, आठ दिसंबर (भाषा) एक संसदीय समिति ने नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के तहत संचालित सौर योजनाओं की धीमी प्रगति से जुड़े मुद्दों की पहचान और समाधान के लिए राज्यों और विकासकर्ताओं के बीच करीबी समन्वय पर बल दिया है।

संसदीय समिति ने सोमवार को संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र की चार कार्यान्वयन एजेंसियों (एसईसीआई, एनएचपीसी, एसजेवीएन और एनटीपीसी लिमिटेड) की तरफ से जारी बोलियों में 30 जून, 2025 तक लगभग 44 गीगावाट के लिए बिजली खरीद समझौते पर हस्ताक्षर नहीं हुए हैं।

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ऊर्जा पर गठित स्थायी समिति की रिपोर्ट कहती है कि अधिकांश योजनाओं/ कार्यक्रमों जैसे प्रधानमंत्री सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना (पीएमएसजी: एमबीवाई), पीएम-कुसुम और सोलर पार्कों के विकास से संबंधित योजना की प्रगति धीमी रही है।

मुफ्त बिजली योजना का लक्ष्य 2026-27 तक एक करोड़ घरों में छतों पर सौर इकाई लगाना है। हालांकि, समिति ने मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के आधार पर बताया कि जून 2025 तक लगभग 16 लाख छतों पर सौर इकाई लगाए गए हैं।

इसका मतलब है कि इस योजना के तहत लगभग 84 लाख घरों में छतों पर सौर इकाई लगाने का काम 2025-2027 के सिर्फ दो वर्षों में करना होगा। समिति ने जागरूकता की कमी को योजना के क्रियान्वयन में सुस्ती का मुख्य कारण बताया है।

समिति ने कहा है कि मंत्रालय राज्य/ बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के साथ मिलकर ऐसे जागरूकता अभियान तैयार करे जो संबंधित राज्य की खास जरूरतों के अनुरूप हों।

समिति ने पाया कि कृषि क्षेत्र में सौर बिजली के इस्तेमाल को बढ़ावा देने वाली पीएम-कुसुम योजना में भी देरी हो रही है।

भाषा पाण्डेय प्रेम

प्रेम


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