घरेलू गैस सिलेंडरों पर एचपीसीएल की 2020-21 में सब्सिडी पिछले छह साल में सबसे कम : आरटीआई

घरेलू गैस सिलेंडरों पर एचपीसीएल की 2020-21 में सब्सिडी पिछले छह साल में सबसे कम : आरटीआई

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  • Publish Date - October 11, 2021 / 04:05 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:58 PM IST

इंदौर (मध्यप्रदेश), 11 अक्टूबर (भाषा) सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कम्पनी हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) द्वारा घरेलू गैस सिलेंडरों के ग्राहकों को दी जाने वाली सब्सिडी वित्तीय वर्ष 2020-21 में घटकर 1,725.54 करोड़ रुपये पर सिमट गई जो पिछले छह साल में सबसे कम है। सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत प्राप्त सूचना से यह जानकारी मिली।

यह खुलासा ऐसे वक्त हुआ है, जब कच्चे तेल अंतरराष्ट्रीय कीमतों में इजाफे के चलते देश में ईंधन के मूल्य ऊंचे स्तर पर है। इससे आम आदमी पर महंगाई का बोझ बढ़ गया है।

नीमच के आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने सोमवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि घरेलू गैस सिलेंडरों को लेकर एचपीसीएल ने आरटीआई कानून के तहत उन्हें जानकारी दी है।

आरटीआई से मिले ब्योरे के मुताबिक घरेलू गैस सिलेंडरों के ग्राहकों को एचपीसीएल द्वारा दी जाने वाले सब्सिडी वित्तीय वर्ष 2019-20 में 6,571.58 करोड़ रुपये, 2018-19 में 9,337.50 करोड़ रुपये, 2017-18 में 5,963.13 करोड़ रुपये, 2016-17 में 4,044.30 करोड़ रुपये और 2015-16 में 5,088.74 करोड़ रुपये के स्तर पर रही।

गौड़ ने सूचना के अधिकार के तहत एचपीसीएल से पूछा था कि घरेलू गैस सिलेंडरों पर सब्सिडी की रकम घटती क्यों जा रही है और पेट्रोलियम ईंधनों के दाम बढ़ते क्यों जा रहे हैं, तो सार्वजनिक क्षेत्र की तेल मार्केटिंग कम्पनी की ओर से कहा गया कि इन सवालों के जरिये ‘‘काल्पनिक परिस्थितियों’’ या ‘‘धारणाओं’’ के आधार पर पुष्टि या अभिमत या स्पष्टीकरण चाहा गया है, इसलिए ये विषय संबद्ध प्रावधानों के तहत आरटीआई कानून के दायरे से बाहर हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता ने एचपीसीएल से यह भी जानना चाहा था कि 14.2 किलोग्राम के घरेलू गैस सिलेंडर की बिक्री पर तेल मार्केटिंग कम्पनी को कितना मुनाफा होता है? इस पर एचपीसीएल से आरटीआई कानून के संबद्ध प्रावधानों का हवाला देते हुए जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया और कहा, ‘‘यह वाणिज्यिक गोपनीयता का मामला है और मांगी गई जानकारी साझा करने से व्यापक जनहित नहीं जुड़ा है।’’ भाषा हर्ष

हर्ष रमण

रमण