आईएफएससी को ऐसा मंच तैयार करने की जरूरत है जहां ‘ग्रीन क्रेडिट’ का कारोबार किया जा सके: सीतारमण |

आईएफएससी को ऐसा मंच तैयार करने की जरूरत है जहां ‘ग्रीन क्रेडिट’ का कारोबार किया जा सके: सीतारमण

आईएफएससी को ऐसा मंच तैयार करने की जरूरत है जहां ‘ग्रीन क्रेडिट’ का कारोबार किया जा सके: सीतारमण

:   Modified Date:  January 11, 2024 / 01:05 PM IST, Published Date : January 11, 2024/1:05 pm IST

गांधीनगर, 11 जनवरी (भाषा) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत के पास अपनी शुद्ध शून्य प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए 10100 अरब अमेरिकी डॉलर का ‘फंडिंग गैप’ है।

उन्होंने साथ ही आईएफएससी से एक ऐसा मंच तैयार करने को कहा जहां ‘ग्रीन क्रेडिट’ का कारोबार किया जा सके।

गिफ्ट सिटी में ‘आधुनिक भारत की एक आकांक्षा’ सत्र में मंत्री ने कहा कि भारत में कंपनियां आईएफएससी एक्सचेंज पर सीधी सूचीबद्ध होने के साथ जल्द ही वैश्विक कोष तक पहुंच कायम कर पाएंगी।

उन्होंने कहा, ‘‘ गिफ्ट आईएफएससी में स्टॉक की बहुप्रतीक्षित प्रत्यक्ष रूप से सूचीबद्ध होने की घोषणा पहले की गई है। हम व्यवस्थित तरीके से प्रक्रिया से गुजर रहे हैं और मुझे विश्वास है कि यह जल्द से जल्द पूरी होगी। इससे भारतीय कंपनियां भारत में सूचीबद्ध होने वाले वैश्विक कोषों तक आसानी से पहुंच प्राप्त कर सकेंगी।’’

सरकार ने पिछले साल सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध कंपनियों को गिफ्ट सिटी में आईएफएससी (अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र) एक्सचेंज पर सीधे खुद को सूचीबद्ध करने की अनुमति देने का फैसला किया था।

मंत्री ने कहा कि भारत के पास अपनी शुद्ध शून्य प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए 10100 अरब अमेरिकी डॉलर का ‘फंडिंग गैप’ है जिसे 2070 तक पूरा किया जाना है। गिफ्ट सिटी उस अंतर को पाटने में मदद कर सकती है।

उन्होंने कहा कि यहां के अधिकारियों को एक मंच तैयार करने के लिए काम करना चाहिए…ताकि ‘ग्रीन क्रेडिट’ खरीदा व बेचा जा सके।

सीतारमण ने कहा, ‘‘ मियावाकी वन पूरे देश में बढ़ रहे हैं। इसके लिए तथा अन्य ऐसी प्रथाओं का श्रेय वनीकरण या ऐसी गतिविधियों को जाता है जो हरित प्रमाणीकरण से भरपूर हैं। इसका मतलब है नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करना, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन आदि। यानी मैं यहां आकर यह कहूंगी कि मेरे पास ‘क्रेडिट’ है, जिससे मुझे व्यापार करने दीजिए। यह मंच उन ‘क्रेडिट’ को खरीदने और बेचने की जगह होना चाहिए।’’

भाषा निहारिका नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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