नयी दिल्ली, 26 फरवरी (भाषा) भारत ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की सोमवार से अबू धाबी में शुरू हुई बैठक में पर्यावरण संरक्षण के नाम पर कुछ देशों के ‘व्यापार संरक्षणवाद’ उपायों के बढ़ते इस्तेमाल पर ‘गंभीर’ चिंता जताई।
भारत का यह बयान इस्पात एवं उर्वरक जैसे क्षेत्रों पर कार्बन कर लगाने के यूरोपीय संघ (ईयू) के फैसले को लेकर जताई जा चुकी आपत्तियों के लिहाज से काफी अहम है। यूरोप के 27 देशों के समूह में जनवरी, 2026 से कार्बन कर प्रणाली लागू होने वाली है।
वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने ‘औद्योगीकरण के लिए सतत विकास और नीतिगत स्थान’ पर आयोजित एक सत्र में कहा कि विकासशील देशों को अपने औद्योगीकरण की राह में आने वाली बाधाएं दूर करने के लिए डब्ल्यूटीओ के मौजूदा समझौतों में लचीलापन लाने की जरूरत है।
इसके साथ ही बर्थवाल ने औद्योगिक विकास के लिए नीतिगत स्थान जैसे विकास के दीर्घकालिक मुद्दों को ‘व्यापार और औद्योगिक नीति’ के नए मुद्दों के साथ जोड़ने के विकसित देशों के सम्मिलित प्रयासों पर भी चिंता जताई।
वाणिज्य सचिव ने व्यापार को संरक्षण देने वाले एकतरफा उपायों के बढ़ते चलन पर गंभीर चिंता जताते हुए कहा कि इन कदमों को पर्यावरण संरक्षण की आड़ में उचित ठहराने की कोशिश की जा रही है।
उनका इशारा यूरोपीय संघ की प्रस्तावित कार्बन कर व्यवस्था की तरफ था। यूरोपीय देश जनवरी, 2026 से चुनिंदा आयात पर 20-35 प्रतिशत कर लगाने वाला है।
इसका भारत के निर्यात पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका है। भारत के लौह अयस्क छर्रों, लोहा, इस्पात और एल्युमीनियम उत्पादों के निर्यात का 26.6 प्रतिशत यूरोपीय संघ को जाता है। भारत ने 2023 में यूरोपीय संघ को 7.4 अरब डॉलर मूल्य के इन उत्पादों का निर्यात किया है।
बर्थवाल ने डब्ल्यूटीओ के शीर्ष निकाय मंत्रिस्तरीय सम्मेलन की 13वीं बैठक में ‘व्यापार और समावेशन’ पर आयोजित एक अन्य सत्र में आगाह किया कि गैर-व्यापार विषयों को डब्ल्यूटीओ नियमों के साथ मिलाने से व्यापार विखंडन बढ़ सकता है।
उन्होंने कहा, ‘स्त्री-पुरुष समानता और एमएसएमई जैसे मुद्दों को डब्ल्यूटीओ चर्चा के दायरे में लाना व्यावहारिक नहीं था क्योंकि इन मुद्दों पर पहले से ही अन्य प्रासंगिक अंतरराष्ट्रीय संगठनों में चर्चा की जा रही थी।’
उन्होंने कहा कि समावेशन जैसे मुद्दों का ध्यान लक्षित राष्ट्रीय उपाय के जरिये बेहतर ढंग से रखा जा सकता है क्योंकि वे अंतरराष्ट्रीय व्यापार संबंधों के क्षेत्र में नहीं आते हैं।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
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