अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता में भारत को सतर्क रहने, सूझबूझ से काम करने की जरूरत: रघुराम राजन

अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता में भारत को सतर्क रहने, सूझबूझ से काम करने की जरूरत: रघुराम राजन

अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता में भारत को सतर्क रहने, सूझबूझ से काम करने की जरूरत: रघुराम राजन
Modified Date: July 18, 2025 / 05:26 pm IST
Published Date: July 18, 2025 5:26 pm IST

(फाइल तस्वीर के साथ)

नयी दिल्ली, 18 जुलाई (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को लेकर जारी बातचीत के दौरान भारत को खासकर कृषि क्षेत्र को लेकर ‘बहुत सतर्क’ रहने और ‘सूझबूझ’ के साथ काम करने की जरूरत है।

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राजन ने पीटीआई-वीडियो से बातचीत में कहा कि विकसित देश कृषि क्षेत्र को काफी सब्सिडी देते हैं और यह हमें ध्यान रखने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर फिलहाल छह-सात प्रतिशत के दायरे में स्थिर हो गई है। हालांकि वैश्विक व्यापारिक अनिश्चितताओं के चलते इसमें थोड़ी गिरावट हो सकती है।

राजन ने कहा, ‘‘कृषि जैसे क्षेत्रों में व्यापार समझौते काफी जटिल हो जाते हैं क्योंकि हर देश अपने उत्पादकों को सब्सिडी देता है। भारत के उत्पादक अपेक्षाकृत छोटे हैं और उन्हें कम सब्सिडी मिलती है। ऐसे में यदि कृषि उत्पादों का निर्बाध आयात होने लगे तो इससे हमारे किसानों को नुकसान हो सकता है।’’

भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) को लेकर इस सप्ताह वाशिंगटन में पांचवें दौर की बातचीत हुई है।

भारत अमेरिकी प्रशासन की तरफ से अप्रैल में घोषित 26 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क को हटाए जाने की मांग कर रहा है। इसके अलावा भारतीय इस्पात एवं एल्युमीनियम पर लगे 50 प्रतिशत और वाहनों पर 25 प्रतिशत शुल्क से राहत देने की मांग रखी गई है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि भारत के साथ प्रस्तावित व्यापार समझौता इंडोनेशिया के साथ हुए समझौते की तर्ज पर ही होगा। इसका मतलब है कि कृषि क्षेत्र में आयात की अनुमति देने एक अहम मुद्दा बनने जा रहा है।

पूर्व आरबीआई गवर्नर ने सुझाव दिया कि विकसित देशों से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को बढ़ावा देकर दुग्ध उत्पादों जैसे क्षेत्रों में मूल्यवर्धन को बढ़ाया जा सकता है, जिससे देश के दुग्ध उत्पादकों को फायदा होगा।

राजन ने कहा, ‘‘इसके बजाय हमें यह नहीं कहना चाहिए कि हम अन्य देशों से अधिक दूध के आयात का स्वागत करते हैं, बल्कि हमें समझदारी से रणनीति बनानी चाहिए।’’

इस समय शिकागो बूथ (शिकागो विश्विद्यालय) में वित्त के प्रोफेसर राजन ने कहा, ‘इस सबके लिए बहुत सतर्क रहने और बहुत सूझबूझ के साथ बात करने की जरूरत है। मुझे उम्मीद है कि हमारी सरकार के अधिकारी इसी काम में लगे हुए हैं।’

दरअसल भारत ने कृषि और डेयरी उत्पादों को आयात रियायत दिए जाने की अमेरिकी मांग पर अपना रुख कड़ा किया हुआ है। भारत ने अब तक किसी भी व्यापार समझौते में अपने साझेदार को इन क्षेत्रों में शुल्क रियायतें नहीं दी हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि भारत को अमेरिका की ओर से लगाए गए अतिरिक्त शुल्कों के मुकाबले कुछ अधिक अवसर भी मिल सकते हैं। यदि अमेरिका द्वारा चीन या अन्य एशियाई देशों पर शुल्क भारत से ज्यादा हैं, तो कुछ विनिर्माण गतिविधियां भारत का रुख कर सकती हैं।

राजन ने कहा कि भारत ने कुछ क्षेत्रों में संरक्षणवादी रवैया अपनाया है, लेकिन उन क्षेत्रों में उचित प्रतिस्पर्धा लाने और शुल्कों में कटौती से अर्थव्यवस्था को लाभ मिल सकता है।

भाषा प्रेम प्रेम रमण

रमण

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