भारत का जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र पिछले दशक में लगभग पांच गुना हुआ : डीबीटी सचिव

भारत का जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र पिछले दशक में लगभग पांच गुना हुआ : डीबीटी सचिव

भारत का जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र पिछले दशक में लगभग पांच गुना हुआ : डीबीटी सचिव
Modified Date: June 23, 2025 / 06:27 pm IST
Published Date: June 23, 2025 6:27 pm IST

नयी दिल्ली, 23 जून (भाषा) भारत के जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र ने पिछले दशक में तेजी से विस्तार किया है और जैव अर्थव्यवस्था 2014 के 35.5 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2024 में 165.7 अरब डॉलर हो गई है। जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के सचिव राजेश एस गोखले ने यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र 2030 तक 300 अरब डॉलर का लक्ष्य लेकर चल रहा है, क्योंकि अब वैज्ञानिक प्रगति के औद्योगिक और सार्वजनिक स्वास्थ्य लाभ मिलने लगे हैं।

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गोखले ने डीबीटी की 11 वर्षों की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए संवाददाता सम्मेलन में कहा, ”जैव प्रौद्योगिकी अब एक हाशिये का विषय नहीं रहा है, बल्कि यह अब भारत की आर्थिक और स्वास्थ्य प्राथमिकताओं के लिए एक रणनीतिक ‘चालक’ है।”

उन्होंने कहा कि इन उल्लेखनीय पहल में जीनोमइंडिया भी शामिल है, जो 10,000 व्यक्तियों के जीनोम को अनुक्रमित करने का एक राष्ट्रव्यापी प्रयास है। इस साल की शुरुआत में जारी किए गए जीनोमइंडिया के आंकड़ों से व्यक्तिगत चिकित्सा के बारे में जानकारी मिलने और भारतीय आबादी के लिए खारतौर से निदान विकसित करने में मदद मिलेगी।

गोखले ने कहा कि भारत की वैक्सीन प्रतिक्रिया ने डीबीटी समर्थित नवोन्मेषण पारिस्थितिकी तंत्र की क्षमता को प्रदर्शित किया है।

भाषा अजय पाण्डेय

अजय


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