भारत का तेल आयात पर खर्च दोगुना हुआ, 2021-22 में 119 अरब डॉलर का तेल खरीदा

भारत का तेल आयात पर खर्च दोगुना हुआ, 2021-22 में 119 अरब डॉलर का तेल खरीदा

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  • Publish Date - April 24, 2022 / 05:00 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:04 PM IST

नयी दिल्ली, 24 अप्रैल (भाषा) मार्च में समाप्त हुए वित्त वर्ष 2021-22 में भारत का कच्चे तेल के आयात पर खर्च लगभग दोगुना होकर 119 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इसकी वजह मांग में वृद्धि और यूक्रेन में युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर ऊर्जा की कीमतों में बढ़ोतरी है।

भारत तेल की खपत और आयात करने के मामले में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है। तेल मंत्रालय के पेट्रोलियम योजना एवं विश्लेषण प्रकोष्ठ (पीपीएसी) के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल 2021 से मार्च 2022 के बीच भारत ने तेल के आयात पर 119.2 अरब डॉलर खर्च किए। इससे पिछले वर्ष की समान अवधि में उसका तेल आयात बिल 62.2 अरब डॉलर रहा था।

मार्च माह में जब तेल की कीमतें 14 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई, तब अकेले इस महीने में ही भारत ने तेल आयात पर 13.7 अरब डॉलर खर्च किए, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह खर्च 8.4 अरब डॉलर था।

वैश्विक स्तर पर तेल के दाम जनवरी से बढ़ने शुरू हुए थे और फरवरी में ये 100 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गए। मार्च महीने की शुरुआत में तेल की कीमत 140 डॉलर प्रति बैरल के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी। हालांकि उसके बाद कीमतों में गिरावट आने लगी और अब यह करीब 106 डॉलर प्रति बैरल पर है।

पीपीएसी के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 में भारत ने 21.221 करोड़ टन कच्चे तेल का आयात किया, जबकि इससे पिछले वर्ष 19.65 करोड़ टन तेल आयात किया था। हालांकि यह महामारी से पहले के वर्ष 2019-20 के मुकाबले कम है जब 22.7 करोड़ टन तेल आयात किया गया था। तब तेल आयात पर 101.4 अरब डॉलर खर्च हुए थे।

अपनी कच्चे तेल की 85.5 फीसदी जरूरतों के लिए भारत आयात पर निर्भर करता है।

पीपीएसी के मुताबिक 2019-20 में भारत की तेल आयात पर निर्भरता 85 फीसदी थी जो इसके बाद के वर्ष में कुछ गिरकर 84.4 फीसदी हो गई लेकिन 2021-22 में यह एक बार फिर बढ़कर 85.5 फीसदी पर पहुंच गई।

भाषा मानसी प्रेम

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