देश की सौर पीवी मॉड्यूल विनिर्माण क्षमता वर्ष 2030 तक 125 गीगावाट होगीः प्रल्हाद जोशी

देश की सौर पीवी मॉड्यूल विनिर्माण क्षमता वर्ष 2030 तक 125 गीगावाट होगीः प्रल्हाद जोशी

देश की सौर पीवी मॉड्यूल विनिर्माण क्षमता वर्ष 2030 तक 125 गीगावाट होगीः प्रल्हाद जोशी
Modified Date: March 29, 2025 / 06:07 pm IST
Published Date: March 29, 2025 6:07 pm IST

नवसारी, 29 मार्च (भाषा) केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी ने शनिवार को कहा कि देश की सौर पीवी मॉड्यूल विनिर्माण क्षमता वर्तमान 80 गीगावाट से बढ़कर वर्ष 2030 तक 125 गीगावाट हो जाएगी जबकि इसकी स्थापित सौर सेल विनिर्माण क्षमता जल्द ही 25 गीगावाट से बढ़कर 40 गीगावाट पहुंच जाएगी।

जोशी ने गुजरात के नवसारी में वारी एनर्जीज लिमिटेड की 5.4 गीगावाट क्षमता की सौर सेल विनिर्माण इकाई का उद्घाटन करने के बाद यह बात कही।

उन्होंने कहा, ‘देश में 2014 में सौर पीवी मॉड्यूल विनिर्माण लगभग नदारद था। लेकिन आज के समय में वारी एनर्जीज जैसी कंपनियां 80 गीगावाट सौर पीवी मॉड्यूल का उत्पादन कर रही हैं। वर्ष 2030 तक, हमारी कुल सौर पीवी विनिर्माण क्षमता 125 गीगावाट हो जाएगी।’

 ⁠

इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 2014 में सौर सेल विनिर्माण भी शून्य था लेकिन आज 25 गीगावाट का विनिर्माण हो रहा है, और बहुत जल्द देश 40 गीगावाट के लक्ष्य तक पहुंच जाएगा।

जोशी ने कहा कि भारत नवीकरणीय ऊर्जा का दुनिया में तीसरा बड़ा उत्पादक बन गया है, और वर्तमान में 220 गीगावाट से 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य हासिल कर लेगा।

उन्होंने कहा कि ग्रीन अमोनिया के लिए दुनिया की सबसे बड़ी बोली भारत ने लगाई थी और इलेक्ट्रोलाइजर एवं ग्रीन हाइड्रोजन विनिर्माण के लिए 50 प्रतिशत निर्यात ऑर्डर बुक किए गए हैं।

उन्होंने कहा, ‘हम नवीकरणीय ऊर्जा के तीसरे सबसे बड़े उत्पादक हैं। दस साल पहले, हम इस नक्शे पर कहीं नहीं थे। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बहुत कुछ हासिल किया गया है।’

इस अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने गुजरात को ‘विकास के रोल मॉडल और विकास इंजन’ के साथ ‘नीति संचालित राज्य’ के रूप में स्थापित करने के लिए मोदी की सराहना की।

पटेल ने कहा, ‘कारोबार में आसानी, जनहितैषी नीतियों और बुनियादी सुविधाओं ने गुजरात को उद्योगपतियों के लिए पसंदीदा राज्य बनने में मदद की है। हमने उस परंपरा को आगे बढ़ाया है और अधिक बड़े एवं उभरते उद्योगों को आकर्षित करने के लिए आत्मनिर्भर गुजरात नीति लेकर आए हैं। इस नीति के तहत 43,000 करोड़ रुपये के निवेश से 183 इकाइयां चालू हो गई हैं।’

भाषा प्रेम प्रेम

प्रेम


लेखक के बारे में