जुलाई तक भारत का चीनी उत्पादन 18.38 प्रतिशत घटकर 2.58 करोड़ टन पर

जुलाई तक भारत का चीनी उत्पादन 18.38 प्रतिशत घटकर 2.58 करोड़ टन पर

जुलाई तक भारत का चीनी उत्पादन 18.38 प्रतिशत घटकर 2.58 करोड़ टन पर
Modified Date: July 30, 2025 / 05:33 pm IST
Published Date: July 30, 2025 5:33 pm IST

नयी दिल्ली, 30 जुलाई (भाषा) राष्ट्रीय सहकारी चीनी कारखाना महासंघ लिमिटेड (एनएफसीएसएफएल) ने बुधवार को कहा कि अक्टूबर में समाप्त होने वाले चालू सत्र में जुलाई तक भारत का चीनी उत्पादन 18.38 प्रतिशत घटकर दो करोड़ 58.2 लाख टन रहा है। ऐसा प्रमुख उत्पादक राज्यों में कम उत्पादन के कारण हुआ है।

सहकारी संस्था को उम्मीद है कि पूरे सत्र में कुल उत्पादन दो करोड़ 61.1 लाख टन तक पहुंच जाएगा, जो वर्ष 2023-24 में उत्पादित 3.19 करोड़ टन से काफी कम है।

कर्नाटक और तमिलनाडु में जून से सितंबर तक चलने वाले विशेष पेराई कार्य चल रहे हैं और कुल उत्पादन में कुछ और टन जुड़ने की उम्मीद है।

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कर्नाटक में पिछले वर्ष के एक मिल की तुलना में सात मिलें चल रही हैं, जबकि तमिलनाडु में पिछले वर्ष के 11 मिलों की तुलना में नौ मिलें चल रही हैं।

एनएफसीएसएफएल के अनुसार, भारत के सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य, उत्तर प्रदेश में जुलाई तक उत्पादन एक साल पहले के 103.6 लाख टन से घटकर 92.7 लाख टन रह गया।

दूसरे सबसे बड़े उत्पादक महाराष्ट्र में उत्पादन भारी गिरावट दर्शाता पहले के 1.1 करोड़ टन से घटकर 80.9 लाख टन रह गया, जबकि कर्नाटक में उत्पादन 51.6 लाख टन से घटकर 40.6 लाख टन रह गया।

उत्पादन में यह गिरावट गन्ने की उपलब्धता में कमी, प्रतिकूल मौसम, एथनॉल उत्पादन में इसके इस्तेमाल का बढ़ता रुझान और कीट एवं रोगों के प्रकोप के कारण हुई है।

एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में, भारत ने वर्ष 2025 में पेट्रोल के साथ 20 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण का लक्ष्य हासिल कर लिया, जो 2030 के लक्ष्य से पांच साल पहले है। यह उपलब्धि ग्रामीण आय को बढ़ावा देते हुए ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के देश के प्रयासों को रेखांकित करती है।

भविष्य को देखते हुए, एनएफसीएसएफएल ने अनुकूल मानसून, महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ने की खेती में वृद्धि और सरकार द्वारा उचित एवं लाभकारी मूल्य में समय पर वृद्धि का हवाला देते हुए वर्ष 2025-26 में 3.5 करोड़ टन चीनी उत्पादन का अनुमान लगाया है।

एनएफसीएसएफएल के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने कहा, ‘‘चीनी मिलों की लाभप्रदता की रक्षा करने, ग्रामीण रोजगार को बनाए रखने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि भारत एथनॉल और सहकारी विकास दोनों मोर्चों पर अपनी गति जारी रखे, ऐसे उपाय आवश्यक हैं।’’

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय


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