एलपीजी सिलेंडर की कीमत 50 रुपये बढ़ी, एटीएफ 6.3 प्रतिशत महंगा हुआ

एलपीजी सिलेंडर की कीमत 50 रुपये बढ़ी, एटीएफ 6.3 प्रतिशत महंगा हुआ

एलपीजी सिलेंडर की कीमत 50 रुपये बढ़ी, एटीएफ 6.3 प्रतिशत महंगा हुआ
Modified Date: November 29, 2022 / 08:42 pm IST
Published Date: December 16, 2020 10:40 am IST

नयी दिल्ली, 16 दिसंबर (भाषा) बिना- सब्सिडी के रसोई गैस सिलेंडर की कीमत बुधवार को 50 रुपये प्रति सिलेंडर बढ़ा दी गई। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें बढ़ने के बाद रसोई गैस सिलेंडर के दाम में इस महीने यह दूसरी बार वृद्धि हुई है।

इसके साथ ही विमान ईंधन (एटीएफ) की कीमत भी 6.3 प्रतिशत बढ़ा दी गई है।

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सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम उत्पाद विपणन कंपनियों द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक बिना सब्सिडी वाले 14.2 किलोग्राम के एलपीजी सिलेंडर की कीमत 644 रुपये से बढ़कर 694 रुपये कर दी गई है।

इस सिलेंडर की कीमतों में इस महीने यह दूसरी बढ़ोतरी है। इससे पहले एक दिसंबर को भी इसकी कीमत में 50 रुपये की बढ़ोतरी हुई थी।

इससे पहले घरेलू रसोई गैस सिलेंडर की कीमत जुलाई से 594 रुपये प्रति सिलेंडर पर यथावत थी। यह दर सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडर के समान थी।

इसके बाद बिना सब्सिडी वाले सिलेंडर की कीमत तेजी से बढ़ी है। इसका अर्थ है कि सरकार को अब उपभोक्ताओं को सब्सिडी देनी होगी। रसोई गैस की कीमत की समीक्षा प्रत्येक 15 दिन में की जाती है।

विमानन ईंधन की कीमत दिल्ली में 2,941.5 रुपये प्रति किलोलीटर यानी 6.3 प्रतिशत बढ़कर 49,161.16 रुपये प्रति किलोलीटर हो गई है। इससे पहले एक दिसंबर को एटीएफ की कीमतों में 7.6 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई थी।

इसके साथ ही पांच किलोग्राम के एलपीजी सिलेंडर की कीमत 18 रुपये और 19 किलोग्राम के गैस सिलेंडर की कीमत 36.50 रुपये बढ़ाई गई है।

देश में परिवारों को एक साल में 12 एलपीजी सिलेंडर सब्सिडी के साथ मिलते हैं। उपभोक्ता को सिलेंडर लेते समय उसका पूरा मूल्य चुकाना होता है जबकि सब्सिडी की राशि उसके बैंक खाते में पहुंच जाती है। यदि किसी परिवार में एक साल की अवधि में 12 से अधिक सिलेंडर की खपत होती है तो उन्हें इसके बाद के सिलेंडर तय बाजार मूल्य पर लेना होता है।

देश के चार महानगरों में कोलकाता में गैर- सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडर का दाम अब 720.50 रुपये, मुंबई में 694 रुपये, चेन्नई में 710 रपये प्रति सिलेंडर हो गया है। स्थानीय स्तर पर मूल्यवधित कर (वैट) की दर अलग अलग होने की वजह से दाम में अंतर रहता है।

भाषा

पाण्डेय महाबीर

महाबीर


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