आवक में भारी गिरावट से सरसों, बिनौला में सुधार, अन्य तेल-तिलहनों के भाव स्थिर

आवक में भारी गिरावट से सरसों, बिनौला में सुधार, अन्य तेल-तिलहनों के भाव स्थिर

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  • Publish Date - May 1, 2024 / 08:47 PM IST,
    Updated On - May 1, 2024 / 08:47 PM IST

नयी दिल्ली, एक मई (भाषा) मंडियों में सरसों और बिनौला की आवक में भारी गिरावट के बीच देश के बाजारों में बुधवार को सरसों एवं सोयाबीन तेल-तिलहन और बिनौला तेल कीमतों में सुधार दर्ज हुआ। वहीं मूंगफली तेल-तिलहन, कच्चा पाामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल के थोक दाम अपरिवर्तित बने रहे।

मलेशिया एक्सचेंज में आज छुट्टी है जबकि शिकॉगो एक्सचेंज में सुधार चल रहा है।

बाजार सूत्रों ने कहा कि मंडियों में आज सरसों की आवक घटकर 3.5 लाख बोरी रह गई जो पहले लगभग सात लाख बोरी की हो रही थी। किसानों को सरकार की ओर से सरसों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद की उम्मीद है और चुनाव बाद नयी सरकार के द्वारा देशी तेल-तिलहनों के उत्पादन बढ़ाने की दिशा में कुछ पहल करने की उम्मीद है। किसान किसी बहकावे में नहीं आ रहे और किसी तिलहन के दाम टूटने जैसी अफवाहों पर ध्यान नहीं दे रहे और अपना माल बचा रहे हैं कि आगे उन्हें अच्छे दाम मिलेंगे।

उन्होंने कहा कि शिकॉगो एक्सचेंज में सुधार के कारण सोयाबीन तेल-तिलहन कीमतों में भी सुधार है।

सूत्रों ने कहा कि मंडियों में बिनौला की भी आवक घटकर 22-23 हजार गांठ की रह गई है जो लगभग दो महीने पहले 2-2.25 लाख गांठ की हो रही थी। इस कारण बिनौला तेल कीमतों में भी सुधार देखने को मिली।

उन्होंने कहा कि बेकरी वालों की ओर से सीपीओ की मांग है पर हाजिर में माल की कमी होने से सीपीओ के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे। मलेशिया एक्सचेंज के कल खुलने पर इस बारे में आगे की दिशा का अंदाजा लगेगा।

सूत्रों ने कहा कि ऊंचे भाव पर लिवाली कमजोर रहने से मूंगफली तेल-तिलहन के भाव भी अपरिवर्तित रहे। घाटे के कारोबार की मजबूरी के चलते बिनौला, मूंगफली, सरसों जैसे छोटे तेल पेराई मिलों की हालत बेहद खराब है। वे अपनी समस्याओं के बारे में कुछ बोलने से भी डरते हैं और कोई संगठन या अधिकारी भी उनकी समस्याओं को हल नहीं कर पा रहे हैं। काफी समय से घाटे के सौदे के कारण उनकी हालत बेहद खराब हो चली है इसलिए उनकी समस्याओं की ओर भी विशेष ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति से तिलहन किसान, तेल उद्योग और उपभोक्ता सभी परेशान हैं। अधिकांश खाद्य तेलों के थोक दाम पहले से आधे रह गये हैं। लेकिन खुदरा बाजार में खाद्य तेलों में महंगाई बनी हुई है। पिछले लगभग 25 साल से केवल खाद्य तेलों के दाम बढ़ने पर मुद्रास्फीति बढ़ने जैसी चिंता सामने आने लगती है और दूध या अन्य किसी आवश्यक वस्तु की महंगाई पर किसी विशेषज्ञ को चिंता व्यक्त करते नहीं देखा जाता।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 5,300-5,340 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,075-6,350 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,550 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,210-2,475 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 10,050 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,715-1,815 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,715-1,830 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 9,825 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 9,525 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,250 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 8,625 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,725 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,850 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 8,900 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,740-4,760 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,540-4,580 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,075 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय