Sita Navami 2024: हिंदू धर्म में तीज-त्योहारों के विशेष महत्व है। सनातन धर्म में वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि का विशेष महत्व बताया जाता है, क्योंकि इस पावन तिथि को सीता नवमी के तौर पर मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी पावन तिथि को माता सीता धरती से प्रकट हुई थी। इस दिन माता सीता की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करना बहुत फलदायी माना जाता है। इस दिन महिलाएं व्रत रखती है, ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखकर माता सीता की पूजा करने से विवाहित महिलाएं के जीवन में आ रही बाधाएं दूर होती हैं और पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है।
सीता नवमी का मध्याह्न मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 04 मिनट से दोपहर 01 बजकर 43 मिनट तक
सीता नवमी का मध्यान क्षण- दोपहर 12 बजकर 23 मिनट तक
पूजा के समय ‘श्री सीतायै नमः’ और ‘श्रीसीता रामाय नमः मंत्र का जाप करें।
सीता नवमी पर स्नानादि के बाद गुलाबी रंग के कपड़े पहनें। गुलाबी आसन पर उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें। भूमि को शुद्ध कर सुंदर मंडप बनाएं। मंडप के मध्य में एक चौकी स्थापित करें। गुलाबी वस्त्र बिछाकर गुलाबी चावल का अष्ट दल बनाएं। अष्ट दल पर राम-जानकी की धातु, काठ या मिट्टी की प्रतिमा रखें। विधि से पूजन करें। माता सीता को लाल वस्त्र पहनाएं। माता सीता को लाल फूल, सिंदूर अर्पित करें और शुद्ध देशी घी का दीपक जलाकर पूजा में गुलाब की धूप बत्ती जलाएं। पूजा पूरी होने के बाद मां सीता को साबूदाने की खीर का भोग लगाएं।