बैंकों की फंसी कर्ज संपत्तियों के अधिग्रहण के लिये एनएआरसीएल को 30,600 करोड़ रुपये की सरकारी गारंटी |

बैंकों की फंसी कर्ज संपत्तियों के अधिग्रहण के लिये एनएआरसीएल को 30,600 करोड़ रुपये की सरकारी गारंटी

बैंकों की फंसी कर्ज संपत्तियों के अधिग्रहण के लिये एनएआरसीएल को 30,600 करोड़ रुपये की सरकारी गारंटी

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:20 PM IST, Published Date : September 16, 2021/11:11 pm IST

नयी दिल्ली, 16 सितंबर (भाषा) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को फंसे कर्ज वाली संपत्तियों के अधिग्रहण को लेकर राष्ट्रीय संपत्ति पुर्नगठन कंपनी लिमिटेड (एनएआरसीएल) के लिये 30,600 करोड़ रुपये की सरकारी गारंटी की घोषणा की। इसके साथ ही ‘बैड बैंक’ के परिचालन में आने का रास्ता साफ हो गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बुधवार को हुई बैठक में एनएआरसीएल द्वारा जारी की जाने वाली प्रतिभूति रसीदों के लिए सरकारी गारंटी देने का निर्णय किया गया।

वित्त मंत्री ने 2021-22 के बजट में करीब 2 लाख करोड़ रुपये के फंसे कर्ज के समाधान को लेकर ‘बैड बैंक’ के गठन की घोषणा की थी।

बैड बैंक यानी एनएआरसीएल लिये गये फंसे कर्ज के लिये सहमति वाले मूल्य का 15 प्रतिशत नकद में और बाकी 85 प्रतिशत सरकारी गारंटी वाली प्रतिभूति रसीद के रूप में रूप में देगा। यदि तय मूल्य के मुकाबले नुकसान होता है, तो सरकारी गारंटी को भुनाया जायेगा।

उन्होंने कहा, ‘‘प्रतिभूति रसीद को बनाए रखने और उनका मूल्य बरकरार रखने के लिए सरकार को एक व्यवस्था तय करने की आवश्यकता थी और इसलिए मंत्रिमंडल ने बुधवार को 30,600 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है।’’

सरकारी गारंटी पांच साल के लिये होगी और एनएआरसीएल को इसके लिये फीस देनी होगी।

वित्तीय सेवा सचिव देबाशीष पांडा ने कहा कि गारंटी के लिये शुल्क 0.25 प्रतिशत होगा। फंसे कर्ज के समाधान में देरी के मामले में इसे आगे बढ़ाकर 0.5 प्रतिशत किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि इससे दबाव वाली संपत्ति का तेजी से निपटान होगा और बैंकों के बही-खाते नये कर्ज देने को लेकर साफ-सुथरे होंगे।

वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘गारंटी अंकित मूल्य को बरकरार रखने में मदद करती है और पूरे प्रकरण को लेकर भरोसा भी देती है….।’’

उन्होंने कहा कि संपत्ति के तय मूल्य और बिक्री मूल्य में अंतर संभवत: नहीं होगा और अगर होगा भी तो बहुत कम होगा। यानी गारंटी को हर बार भुनाने की जरूरत नहीं होगी। ऐसे में सरकार पर तत्काल कोई देनदारी नहीं होगी। यानी कोई रोजकोषीय खर्च फिलहाल नहीं है।

सीतारमण ने कहा कि आईबीसी (दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता) और अन्य कर्ज वसूली प्रक्रिया के साथ भी तालमेल होगा।

उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की एनएआरसीएल में 51 प्रतिशत और प्रस्तावित कर्ज प्रबंधन कंपनी-भारत ऋण समाधान कंपनी लिमिटेड में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि एनएआरसीएल में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, निजी बैंकों और एनबीएफसी सहित कुल 16 शेयरधारक होंगे।

वित्त मंत्री ने कहा कि यह ढांचा ऋण के समेकन में सहायता करेगा जो वर्तमान में विभिन्न कर्जदाताओं में बिखरा हुआ है। इससे निर्णय प्रक्रिया भी आसान होगी।

उन्होंने कहा, ‘‘यह संरचना फंसे कर्ज की परिसंपत्तियों के समाधान पर त्वरित कार्रवाई को प्रोत्साहित करेगी। इससे बेहतर मूल्य प्राप्ति में मदद मिलेगी। भारत ऋण समाधान कंपनी बेहतर मूल्य को लेकर बाजार विशेषज्ञों को शामिल करेगी। इससे बैंक कर्मी पर काम का बोझ कम होगा और वे कारोबार तथा कर्ज बढ़ाने पर ध्यान दे सकेंगे।’’

भारतीय बैंक संघ (आईबीए) को बैड बैंक गठित करने की जिम्मेदारी दी गयी है। पिछले महीने, आईबीए ने 6,000 करोड़ रुपये के एनएआरसीएल के गठन को लेकर लाइसेंस के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के समक्ष एक आवेदन दिया।

लाइसेंस प्राप्त करने की समय सीमा के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने कहा कि यह स्वीकृत होने की प्रक्रिया में है और जल्द मिलने की उम्मीद है।

पांडा ने कहा कि पहले चरण के तहत लगभग 90,000 करोड़ रुपये मूल्य की परिसंपत्तियों को एनएआरसीएल को हस्तांतरित किये जाने की संभावना है, जबकि कम मूल्य वाली शेष परिसंपत्तियों को दूसरे चरण में हस्तांतरित किया जाएगा।

भाषा

रमण महाबीर

महाबीर

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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