तेल-तिलहन कीमतों में मिला जुला रुख |

तेल-तिलहन कीमतों में मिला जुला रुख

तेल-तिलहन कीमतों में मिला जुला रुख

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:53 PM IST, Published Date : January 14, 2022/8:29 pm IST

नयी दिल्ली, 14 जनवरी (भाषा) विदेशी बाजारों में गिरावट के बीच दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में शुक्रवार को खाद्य तेलों में कारोबार का मिला जुला रुख रहा। कम उपलब्धता और स्थानीय मांग होने के कारण जहां सरसों और बिनौला तेल कीमतों में मामूली सुधार आया वहीं बेपड़ता कारोबार की वजह से सोयाबीन तेल तिलहन के भाव में गिरावट रही। सामान्य कारोबार के बीच सीपीओ, पामोलीन, मूंगफली के भाव पूर्वस्तर पर रहे।

बाजार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में लगभग 0.6 प्रतिशत की गिरावट थी जबकि शिकॉगो एक्सचेंज में आधा प्रतिशत की गिरावट है।

सूत्रों ने कहा कि सीपीओ के मुकाबले पामोलीन कहीं सस्ता है। कच्चा पाम तेल (सीपीओ) के आयात में कोई लाभ नहीं है। मलेशिया एक्सचेंज में गिरावट के बीच सीपीओ और पामोलीन के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे क्योंकि जाड़े में सीपीओ की बेहद सीमित मांग रहती है।

सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन के तेल रहित खल (डीओसी) की बहुत कम मात्रा में मांग है। इसके बेपड़ता कारोबार के कारण सोयाबीन तिलहन में गिरावट आई है। जबकि विदेशों से सोयाबीन डीगम तेल का आयात करना सस्ता बैठने की वजह से सोयाबीन तेल कीमतों में भी नरमी है।

सामान्य कारोबार के बीच मूंगफली तेल तिलहन के भाव भी अपरिवर्तित रहे।

उन्होंने कहा कि सरसों की उपलब्धता काफी कम है। छोटे तेल मिलों (प्रतिदिन पांच से सात बोरी की खपत वाले) की ओर से सरसों की मांग है जिससे सरसों तेल तिलहन के भाव में मामूली सुधार आया। सूत्रों ने कहा कि सरसों में डेढ़ से दो महीने तक दिक्कत रहेगी।

सूत्रों ने कहा कि अभी भी कुछ कंपनियों ने खाद्यतेलों का खुदरा भाव, थोक कीमतों में की गई कमी के अनुरूप नहीं किया है। मूंगफली, सूरजमुखी, जैसे तेल ग्राहकों को अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) से 10-15 प्रतिशत अधिक कीमत पर बेचा जा रहा है। सरकार को एमआरपी का फिर से सर्वे कर खुदरा भाव को थोक भाव के अनुरूप बनाने के लिये कदम उठाने चाहिये।

सूत्रों के अनुसार खाद्य सचिव के साथ हुई बैठक में तेल कंपनियों ने कहा कि वे शुल्क कमी का लाभ आम लोगों तक पहुंचाने के लिए खुदरा भाव को थोक भाव के अनुरूप करने की मुहिम को एक जनवरी से सुनिश्चित करेंगे पर देखा यह जा रहा है कि कुछ कंपनियों ने अपनी इस प्रतिबद्धता को अभी तक लागू नहीं किया है। सरकार को इसकी सतत निगरानी रखनी होगी।

उन्होंने कहा कि सरसों के तेल की अधिक से अधिक 180-185 रुपये लीटर भाव होना चाहिये लेकिन कुछ कंपनियों ने अभी भी इसका एमआरपी 200 – 220 रुपये लीटर कर रखा है।

बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)

सरसों तिलहन – 8,225 – 8,255 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये।

मूंगफली – 5,840 – 5,930 रुपये।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 13,000 रुपये।

मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 1,910 – 2,035 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 16,810 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,515 -2,640 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,695 – 2,810 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 16,700 – 18,200 रुपये।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 12,800 रुपये।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,580 रुपये।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 11,320

सीपीओ एक्स-कांडला- 11,180 रुपये।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,000 रुपये।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 12,500 रुपये।

पामोलिन एक्स- कांडला- 11,400 (बिना जीएसटी के)।

सोयाबीन दाना 6,525 – 6,550, सोयाबीन लूज 6,340 – 6,390 रुपये।

मक्का खल (सरिस्का) 3,950 रुपये।

भाषा राजेश राजेश रमण

रमण

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)