ओएनजीसी ने केजी गैस के लिये फिर से बोलियां आमंत्रित कीं

ओएनजीसी ने केजी गैस के लिये फिर से बोलियां आमंत्रित कीं

ओएनजीसी ने केजी गैस के लिये फिर से बोलियां आमंत्रित कीं
Modified Date: November 29, 2022 / 07:46 pm IST
Published Date: August 24, 2022 5:35 pm IST

नयी दिल्ली, 24 अगस्त (भाषा) सार्वजनिक क्षेत्र की ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) ने 15 डॉलर प्रति इकाई (एमएमबीटीयू) की दर से केजी फील्ड से गैस बेचने के लिये फिर से निविदा जारी की है। कंपनी ने वैश्विक स्तर पर ऊर्जा के दाम में तेजी को भुनाने के इरादे से यह कदम उठाया है।

निविदा दस्तावेज के अनुसार, कंपनी ने बंगाल की खाड़ी स्थित केजी-डीडब्ल्यूएन-98/2 (केजी-डी5) फील्ड से एक साल के लिये 75 लाख घनमीटर प्रतिदिन /यूनिट गैस की बिक्री के लिये बोलियां आमंत्रित की हैं।

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कंपनी ने उपयोगकर्ताओं से अपनी इच्छानुसार ब्रेंट क्रूड तेल कीमत का 14 प्रतिशत जमा एक डॉलर प्रति इकाई के आरक्षित गैस मूल्य से ऊपर की बोली लगाने को कहा है।

ब्रेंट क्रूड के मौजूदा दाम 101 डॉलर प्रति बैरल के हिसाब से आरक्षित मूल्य 15 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू (मिलियन मिट्रिक ब्रिटिश थर्मल यूनिट) से अधिक बैठता है।

लागू बिक्री मूल्य गैस के लिये लगायी गयी बोली कीमत या गहरे समुद्री क्षेत्रों से उत्पादित गैस के लिये सरकार द्वारा निर्धारित अधिकतम दर से कम होगा।

सरकार घरेलू स्तर पर उत्पादित प्राकृतिक गैस की कीमत साल में दो बार तय करती है। गहरे समुद्र में स्थित क्षेत्रों से उत्पादित गैस की दर एक अप्रैल से छह महीने के लिये 9.92 डॉलर प्रति यूनिट है।

रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऊर्जा के दाम में तेजी को देखते हुए दर में अक्टूबर में संशोधन किये जाने की संभावना है।

ओएनजीसी ने पिछले साल अप्रैल में केजी-डी-5 ब्लॉक से उत्पादित 20 लाख घनमीटर लाख प्रति दिन (एमएमएससीएमडी) के लिये बोलियां आमंत्रित की थीं। हालांकि, मामले को अदालत में चुनौती दिये जाने के बाद बिक्री योजना टालनी पड़ी।

वह निविदा आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले के ओडालारेवु में तीन से पांच साल की अवधि के लिए 20 लाख इकाई गैस बेचने के लिये थी। यह गेल के केजी बेसिन पाइपलाइन नेटवर्क के साथ-साथ पीआईएल की ईस्ट-वेस्ट पाइपलाइन से जुड़ा है जो केजी बेसिन नेटवर्क और गुजरात गैस ग्रिड से जुड़ा है।

बोलीदाताओं को उस निविदा में ब्रेंट के 10.5 प्रतिशत से ऊपर मूल्य लगाने की आवश्यकता थी।

भाषा रमण अजय

अजय


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