देश में 40 प्रतिशत से अधिक बुजुर्ग अपनी मूलभूत जरूरतों के लिए दूसरों पर निर्भर: रिपोर्ट

देश में 40 प्रतिशत से अधिक बुजुर्ग अपनी मूलभूत जरूरतों के लिए दूसरों पर निर्भर: रिपोर्ट

देश में 40 प्रतिशत से अधिक बुजुर्ग अपनी मूलभूत जरूरतों के लिए दूसरों पर निर्भर: रिपोर्ट
Modified Date: May 29, 2025 / 03:52 pm IST
Published Date: May 29, 2025 3:52 pm IST

नयी दिल्ली, 29 मई (भाषा) देश के 40 प्रतिशत से अधिक बुजुर्ग गरीबी रेखा से नीचे या उसके करीब हैं जिसकी वजह से उन्हें अपनी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए दूसरों पर आश्रित रहना पड़ रहा है। एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

देश में उम्रदराज आबादी पर केंद्रित ‘दीर्घायु: बढ़ती उम्र को समझने का एक नया तरीका’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में उपलब्ध आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद पता चलता है कि उम्रदराज आबादी को कितनी परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। इसमें आर्थिक सुरक्षा एक बड़ी समस्या दिखी।

रिपोर्ट कहती है कि बड़ी संख्या में बुजुर्ग आर्थिक रूप से असुरक्षित हैं। 40 प्रतिशत से अधिक वृद्ध लोग गरीबी रेखा से नीचे या उसके करीब हैं। वहीं 60 प्रतिशत से अधिक बुजुर्गों ने अपनी आर्थिक स्थिति को खराब या औसत बताया।

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एक अनुमान के अनुसार, देश में वर्तमान में 60 साल से ऊपर के लोगों की आबादी करीब 15 करोड़ है और इसके 2047 तक 30 करोड़ पर पहुंचने का अनुमान है।

इसमें कहा गया कि इसकी मुख्य वजह यह है कि ये बुजुर्ग शुरू से ही असंगठित रोजगार में रहे जिससे वे भविष्य के लिए कोई खास बचत नहीं कर पाएं। केवल 8.6 प्रतिशत बुजुर्गों ने कार्य-संबंधित पेंशन मिलने की बात कही।

परमार्थ कार्यों से जुड़ी संस्था रोहिणी नीलेकणि फिलान्थ्रॉपीज की इस रिपोर्ट के अनुसार, 36 प्रतिशत बुजुर्ग अब भी काम कर रहे हैं, हालांकि इनमें से कई लोग अब आराम चाहते हैं।

इसमें कहा गया, बुजुर्गों के पास अक्सर सीमित संचित वित्तीय संपत्ति होती है, जिससे वृद्धावस्था के लिए वे बहुत कम या कोई बचत नहीं कर पाते। कई बुजुर्ग जो आर्थिक रूप से सुरक्षित भी महसूस करते हैं, वे भी अपनी मूलभूत जरूरतों के लिए अपने बच्चों या परिवार पर निर्भर हैं।

अध्ययन में 70 प्रतिशत से अधिक बुजुर्ग महिलाओं ने आश्रय, भोजन, कपड़े और दवा सहित अपनी जरूरतों एवं आवश्यकताओं के लिए दूसरों पर निर्भर होने की बात कही।

रिपोर्ट में वृद्धजनों की जरूरतों पर आधारित चार मुख्य पहलुओं..आर्थिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कल्याण, भागीदारी की स्वतंत्रता और सामाजिक जुड़ाव पर बात की गई है।

इस रिपोर्ट को 10 महीने में अग्रणी विशेषज्ञ संगठनों के साथ बातचीत के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें केअर्स वर्ल्डवाइड, विजडम सर्किल, सिल्वर टॉकीज, हेल्पएज इंडिया जैसे संगठन शामिल हैं।

भाषा निहारिका रमण अजय

अजय


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