ओएनजीसी की गैस पर मूल्य सीमा की सिफारिश कर सकती है पारेख समिति, रिलायंस का नहीं बदलेगा फॉर्मूला

ओएनजीसी की गैस पर मूल्य सीमा की सिफारिश कर सकती है पारेख समिति, रिलायंस का नहीं बदलेगा फॉर्मूला

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  • Publish Date - November 27, 2022 / 01:48 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:41 PM IST

(अम्मार जैदी)

नयी दिल्ली, 27 नवंबर (भाषा) सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के पुराने क्षेत्रों से निकलने वाली प्राकृतिक गैस के लिए मूल्य सीमा तय की जा सकती है। सरकार द्वारा किरीट पारेख की अगुवाई में नियुक्त गैस मूल्य समीक्षा समिति इसकी सिफारिश कर सकती है। सीएनजी और पाइपलाइन से आने वाली रसोई गैस पीएनजी की कीमतों में नरमी लाने के लिए ऐसा किया जाएगा।

हालांकि, मुश्किल क्षेत्रों से निकलने वाली गैस के लिए मूल्य निर्धारण फॉर्मूले को नहीं बदला जाएगा।

अधिकारियों ने बताया कि किरीट पारेख समिति को ‘‘भारत में गैस-आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए बाजार-उन्मुख, पारदर्शी और भरोसेमंद मूल्य निर्धारण व्यवस्था’’ सुनिश्चित करने के लिए सुझाव देने का काम सौंपा गया था। समिति को यह भी तय करना था कि अंतिम उपभोक्ता को उचित मूल्य पर गैस मिले।

अधिकारियों ने कहा कि इसके लिए समिति दो अलग-अलग मूल्य निर्धारण व्यवस्था का सुझाव दे सकती है।

ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) और ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) के पुराने क्षेत्रों से निकलने वाली गैस के लिए मूल्य सीमा तय करने की सिफारिश की जा सकती है। इन क्षेत्रों में लंबे समय से लागत वसूली जा चुकी है।

इससे यह सुनिश्चित होगा कि कीमतें उत्पादन लागत से नीचे नहीं गिरेंगी, जैसा कि पिछले साल हुआ था। या मौजूदा दरों की तरह रिकॉर्ड ऊंचाई तक भी नहीं बढ़ेंगी।

अधिकारियों ने कहा कि इसके अलावा समिति मुश्किल क्षेत्रों से गैस के लिए एक अलग फॉर्मूले का सुझाव दे सकती है। कठिन क्षेत्रों में गहरे समुद्र के क्षेत्र या उच्च दबाव, उच्च तापमान वाले क्षेत्र शामिल हैं। इनके लिए उच्च दरों पर भुगतान के मौजूदा फॉर्मूले को बनाए रखने की संभावना है।

उन्होंने कहा कि इस तरह खोज और उत्पादन (ईएंडपी) में निवेश की चिंताओं को भी दूर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि बाजार आधारित मूल्य निर्धारण से नए निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा और वैश्विक कंपनियां यहां आएंगी।

मूल्य निर्धारण की यह व्यवस्था रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के केजी-डी6 क्षेत्र और ब्रिटेन की इसकी भागीदार बीपी पीएलसी के मुश्किल क्षेत्रों पर लागू होती है। मुश्किल क्षेत्रों के लिए दरें एक अक्टूबर से 12.46 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू (प्रति इकाई) हैं।

योजना आयोग के पूर्व सदस्य किरीट एस पारेख की अध्यक्षता वाली समिति अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दे रही है। अधिकारियों ने कहा कि इसे अगले कुछ दिनों में सरकार को सौंप दिया जाएगा।

भाषा पाण्डेय अजय

अजय