नयी दिल्ली, 15 सितंबर (भाषा) वाहन क्षेत्र के लिए 25,938 करोड़ रुपये की उत्पादन आधारित प्रोत्साहन उत्पादन (पीएलआई) योजना में इलेक्ट्रिक और हाइड्रोजन-ईंधन वाहनों जैसे उन्नत ऑटोमोटिव प्रौद्योगिकी उत्पादों के निर्माण को बढ़ावा देने पर ध्यान दिया गया है और पारंपरिक पेट्रोल, डीजल और सीएनजी वर्गों को इससे बाहर रखा गया है। एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी।
भारी उद्योग सचिव अरुण गोयल ने बताया कि आईसीई (आंतरिक दहन इंजन) वर्ग को लाभ देने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि इसकी देश में पर्याप्त क्षमता है। पीएलआई योजना केवल उन्नत ऑटोमोटिव प्रौद्योगिकियों या वाहन कलपुर्जों को प्रोत्साहित कर रही है जिनकी आपूर्ति श्रृंखला कमजोर, निष्क्रिय या नदारद है।
पीएलआई योजना मौजूदा वाहन कंपनियों के साथ-साथ नए निवेशकों के लिए खुली है जो इस समय वाहन या वाहन कलपुर्जा विनिर्माण के कारोबार में नहीं हैं।
गोयल ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘हम नयी प्रौद्योगिकियों में नये निवेश के लिए प्रोत्साहन दे रहे हैं।’
उन्होंने साथ ही कहा कि आईसीई प्रौद्योगिकी पहले से मौजूद है और ‘हमारे पास देश में इससे जुड़ी पर्याप्त क्षमता है, हमारे पास मजबूत आपूर्ति श्रृंखलाएं हैं। इसलिए हम उन आपूर्ति श्रृंखलाओं को प्रोत्साहन दे रहे हैं जो कमजोर, निष्क्रिय या नदारद हैं।’
सचिव ने कहा कि अगर दुनिया पर नजर दौड़ाएं तो उन्नत ऑटोमोटिव प्रौद्योगिकियों की हिस्सेदारी 2030 तक मौजूदा 18 प्रतिशत से 30 प्रतिशत हो जाएगी जबकि भारत में इस समय यह केवल तीन प्रतिशत है, क्योंकि भारत एक कम मूल्य वाला बाजार है।
भाषा प्रणव अजय
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