निर्यात वाले ‘इंटरनेट ऑफ थिंग्स’ उपकरणों के विदेशी सिम के लिए लचीले नियमन का प्रस्ताव

निर्यात वाले ‘इंटरनेट ऑफ थिंग्स’ उपकरणों के विदेशी सिम के लिए लचीले नियमन का प्रस्ताव

निर्यात वाले ‘इंटरनेट ऑफ थिंग्स’ उपकरणों के विदेशी सिम के लिए लचीले नियमन का प्रस्ताव
Modified Date: December 30, 2025 / 09:21 pm IST
Published Date: December 30, 2025 9:21 pm IST

नयी दिल्ली, 30 दिसंबर (भाषा) दूरसंचार नियामक ट्राई ने सिफारिश की है कि निर्यात के लिए तैयार किए जाने वाले मशीन-टू-मशीन (एम2एम) और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) उपकरणों में इस्तेमाल होने वाली विदेशी दूरसंचार सेवा प्रदाताओं की सिम की बिक्री को दूरसंचार अधिनियम के तहत ‘लचीले नियमन’ के माध्यम से विनियमित किया जाना चाहिए।

नियामक ने इस नई सेवा अनुमति का नाम ‘इंटरनेशनल एम2एम सिम सर्विस ऑथराइजेशन’ रखने का सुझाव दिया है।

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ट्राई ने कहा कि इस अनुमति के लिए प्रवेश शुल्क, न्यूनतम इक्विटी, न्यूनतम नेटवर्थ, बैंक गारंटी और लाइसेंस शुल्क शून्य होना चाहिए, जबकि आवेदन प्रक्रिया शुल्क के तौर पर 5,000 रुपये प्रस्तावित किए गए हैं।

नियामक ने इस सेवा अनुमति के लिए 10 साल की वैधता अवधि का सुझाव भी दिया है।

दूरसंचार नियामक प्राधिकरण ने कहा कि भारतीय कंपनी अधिनियम के तहत पंजीकृत कोई भी कंपनी इंटरनेशनल एम2एम सिम सर्विस ऑथराइजेशन प्राप्त करने के लिए पात्र होनी चाहिए।

ट्राई ने कहा कि निर्यात के लिए बनाए जाने वाले एम2एम और आईओटी उपकरणों में उपयोग हेतु विदेशी दूरसंचार सेवा प्रदाताओं की सिम या ई-सिम कार्डों की बिक्री को दूरसंचार अधिनियम, 2023 के तहत लचीली नियमन व्यवस्था के जरिए विनियमित किया जाना चाहिए।

नियामक ने सुझाव दिया कि यह अनुमति ऑनलाइन दी जानी चाहिए। परीक्षण उद्देश्यों के लिए विदेशी दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के सिम या ई-सिम को भारत में अधिकतम छह महीने के लिए सक्रिय करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

भाषा पाण्डेय रमण

रमण


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