आरबीआई ने बैंकों के लिए जलवायु संबंधित जोखिमों के खुलासे को अनिवार्य करने का प्रस्ताव रखा

आरबीआई ने बैंकों के लिए जलवायु संबंधित जोखिमों के खुलासे को अनिवार्य करने का प्रस्ताव रखा

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  • Publish Date - February 28, 2024 / 07:22 PM IST,
    Updated On - February 28, 2024 / 07:22 PM IST

नयी दिल्ली, 28 फरवरी (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को बैंकों और एनबीएफसी के लिए जलवायु संबंधी वित्तीय जोखिमों के खुलासे को अनिवार्य करने का प्रस्ताव रखा।

जलवायु संबंधी वित्तीय जोखिमों का मतलब उन आर्थिक और वित्तीय जोखिमों से है, जो जलवायु परिवर्तन या जलवायु परिवर्तन को कम करने के प्रयासों के चलते पैदा हो सकते हैं।

रिजर्व बैंक ने ‘जलवायु संबंधी वित्तीय जोखिमों पर खुलासा रूपरेखा, 2024’ के मसौदा दिशानिर्देशों में कहा कि जलवायु संबंधी जोखिम उभरते जोखिमों में से एक हैं। इससे आरबीआई के दायरे में आने वाले संस्थानों (आरई) और वित्तीय स्थिरता पर गंभीर प्रभाव पड़ने की आशंका है।

आरबीआई के नियमन के दायरे में आने वाले संस्थानों में वाणिज्यिक बैंक (स्थानीय क्षेत्रीय बैंक, भुगतान बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर), कुछ प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक, सभी अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान (जैसे एक्जिम बैंक, नाबार्ड, एनएबीएफआईडी, एनएचबी और सिडबी) और सभी बड़ी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) शामिल हैं।

मसौदे में कहा गया है कि संस्थानों को वित्तीय विवरणों में अपने जलवायु-संबंधित वित्तीय जोखिमों और अवसरों के बारे में जानकारी देनी चाहिए। इससे जलवायु संबंधी वित्तीय जोखिमों और अवसरों के मूल्यांकन को बढ़ावा मिलेगा।

मसौदे में यह भी कहा गया कि आरबीआई के दायरे में आने वाले संस्थानों को इस संबंध में विस्तृत जानकारी अलग-अलग देनी चाहिए, न कि समेकित आधार पर। विदेशी बैंक भारत में अपने परिचालन के संबंध में यह जानकारी देंगे।

भाषा पाण्डेय रमण

रमण