आरबीआई जोखिम की शीघ्र पहचान के लिए पर्यवेक्षी उपाय रखेगा जारी

आरबीआई जोखिम की शीघ्र पहचान के लिए पर्यवेक्षी उपाय रखेगा जारी

आरबीआई जोखिम की शीघ्र पहचान के लिए पर्यवेक्षी उपाय रखेगा जारी
Modified Date: May 29, 2025 / 02:08 pm IST
Published Date: May 29, 2025 2:08 pm IST

(फाइल फोटो के साथ)

मुंबई, 29 मई (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने जोखिमों एवं कमजोरियों की शीघ्र पहचान के उद्देश्य से पर्यवेक्षी उपायों को जारी रखने की अपनी प्रतिबद्धता को बृहस्पतिवार को एकबार फिर दोहराया।

केंद्रीय बैंक ने 2024-25 की अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि वह अंतर-नियामकीय कार्यसमूह की सिफारिशों को लागू करके पर्यवेक्षित इकाइयों (एसई) के साइबर मजबूती एवं क्षमताओं को बढ़ाने पर भी ध्यान केंद्रित करेगा। कार्यसमूह ने वित्तीय संस्थाओं के लिए एक समान आधारभूत साइबर सुरक्षा दिशानिर्देश तैयार किए हैं।

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यह ध्यान देने योग्य है कि पिछले दो-तीन साल में आरबीआई ने कारोबार में कटौती सहित कई इकाइयों के खिलाफ पर्यवेक्षी कार्रवाई की है।

आरबीआई ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा, ‘‘ भारतीय रिजर्व बैंक जोखिमों और कमजोरियों की शीघ्र पहचान करने, कमजोरियों के मूल कारण पर ध्यान केंद्रित करने एवं वित्तीय प्रणाली के विभिन्न क्षेत्रों में पर्यवेक्षी कठोरता को सुसंगत बनाने के उद्देश्य से पर्यवेक्षी पहल जारी रखेगा।’

रिपोर्ट में आरबीआई ने कहा कि भारतीय बैंकिंग क्षेत्र मजबूत है, लेकिन वैश्विक अनिश्चितताओं को देखते हुए सक्रिय जोखिम प्रबंधन समय की मांग है।

इसमें सुझाव दिया गया कि ब्याज दर जोखिम की गतिशील प्रकृति को ध्यान में रखते हुए बैंकों को व्यापार एवं बैंकिंग दोनों प्रकार के बही जोखिमों से निपटने की आवश्यकता है, खासकर शुद्ध ब्याज ‘मार्जिन’ (मुनाफे) में कमी के मद्देनजर।

नियामकीय नीतियों के मोर्चे पर, वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया कि रिजर्व बैंक कारोबार दक्षता में सुधार लाने तथा अनुपालन को सरल बनाने के लिए विनियमों को समेकित एवं सुव्यवस्थित करेगा। वित्त वर्ष 2024-25 में ऋणदाताओं के कामकाज के तरीकों, जोखिम प्रबंधन व्यवहार और परिचालन में लचीलेपन को मजबूत करने के लिए कई नियामकीय एवं पर्यवेक्षी दिशानिर्देश जारी किए गए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2025-26 में डिजिटल भुगतान के मामले में सुरक्षा, ग्राहक संरक्षण एवं धोखाधड़ी पर काबू पाने के प्रयासों को सबसे अधिक प्राथमिकता दी जाएगी।

आरबीआई ने यह भी कहा कि वह ऋण संबंधी प्रमुख (मास्टर) निर्देशों में संशोधन के बाद वित्त वर्ष 2025-26 में वित्तीय समावेश सूचकांक की समीक्षा करेगा।

भाषा निहारिका अजय

अजय


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