नियामकीय सैंडबॉक्स: आरबीआई ने और आवेदन आमंत्रित किए

नियामकीय सैंडबॉक्स: आरबीआई ने और आवेदन आमंत्रित किए

नियामकीय सैंडबॉक्स: आरबीआई ने और आवेदन आमंत्रित किए
Modified Date: November 29, 2022 / 08:46 pm IST
Published Date: December 16, 2020 6:37 pm IST

मुंबई, 16 दिसंबर (भाषा) रिजर्व बैंक ने नियामकीय सैंडबॉक्स (आरएस) के तहत ‘‘सीमापार भुगतान’’ के नियमों के प्रयोग के विषय पर इकाइयों के दूसरे समूह की घोषणा की है। इसके साथ ही केन्द्रीय बैंक ने इसमें भाग लेने की इच्छुक इकाइयों के लिये शुद्ध माली हालत (नेट-वर्थ) की शर्त हल्की की है।

नियामकीय सैंडबॉक्स से तात्पर्य नये उत्पादों और सेवाओं का नियंत्रित दायरे में रहते हुये जीवंत परीक्षण करना है। ऐसे नये उत्पादों और सेवाओं के परीक्षण के लिये नियामकीय परिवेश को जांचने परखने के लिये नियामक कुछ छूट भी दे सकता है। इसका उद्देश्य संबंधित उत्पाद को उपयोग में लाये जाने के दौरान विभिन्न परिस्थितियों का परीक्षण करना होता है।

रिजर्व बैंक ने आरएस के तहत पहले समूह को ‘‘खुदरा भुगतान’’ विषय पर अमंत्रित किया था। केन्द्रीय बैंक ने तीसरे समूह में ‘एमएसएमई कर्ज’ को लेकर नियमों के प्रयोग हेतु आवेदन आमंत्रित करेगा। इसका ब्यौरा बाद में जारी किया जायेगा।

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रिजर्व बैंक ने जारी एक वक्तव्य में कहा है कि नवोन्मेष को प्रोत्साहन देने और पात्रता मानदंडों को व्यापक बनाने के उद्देश्य से मौजूदा रूपरेखा में कुछ सुधार किया गया है। इसके तहत रेगुलेटरी सैंडबॉक्स में भाग लेने वालों के लिये नेटवर्थ की आवश्यकता को मौजूदा 25 लाख रुपये से घटाकर 10 लाख रुपये कर दिया गया है। साथ ही भागीदारी फर्मो और सीमित दायित्व वाली भागीदारी (एलएलपी) फर्मो को भी इसमे भाग लेने के लिये शामिल किया गया है।

रिजर्व बैंक ने कहा है जो भी इकाईयां तय मानदंडों को पूरा करती है और आरएस परीक्षण के लिये उनके उत्पाद प्रौद्योगिकी तैयार है अथवा वह उसे विषयवस्तु के मुताबिक व्यापक बाजार में तैनाती के लिये तैयार है, ऐसी इकाइयां आवेदन कर सकती हैं।

भाषा

महाबीर मनोहर

मनोहर


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