रेपो दर 0.5 प्रतिशत बढ़कर तीन साल के उच्चस्तर 5.9 प्रतिशत पर, आरबीआई ने वृद्धि दर का अनुमान घटाया |

रेपो दर 0.5 प्रतिशत बढ़कर तीन साल के उच्चस्तर 5.9 प्रतिशत पर, आरबीआई ने वृद्धि दर का अनुमान घटाया

रेपो दर 0.5 प्रतिशत बढ़कर तीन साल के उच्चस्तर 5.9 प्रतिशत पर, आरबीआई ने वृद्धि दर का अनुमान घटाया

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:34 PM IST, Published Date : September 30, 2022/12:18 pm IST

नयी दिल्ली, 30 सितंबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर रेपो 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 5.9 प्रतिशत कर दी। यह इसका तीन साल का उच्चस्तर है।

खुदरा महंगाई को काबू में लाने और विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों के ब्याज दर में आक्रामक वृद्धि से उत्पन्न दबाव से निपटने के लिये केंद्रीय बैंक ने यह कदम उठाया है।

साथ ही केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिये आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर सात प्रतिशत कर दिया है।

रेपो वह दर है जिस पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को कर्ज देता है। इसमें वृद्धि का मतलब है कि कर्ज महंगा होगा और मौजूदा ऋण की मासिक किस्त बढ़ेगी।

यह चौथी बार है जब नीतिगत दर में वृद्धि की गयी है। इससे पहले, मई में 0.40 प्रतिशत वृद्धि के बाद जून और अगस्त में 0.50-0.50 प्रतिशत की वृद्धि की गयी थी। कुल मिलाकर मई से अबतक आरबीआई रेपो दर में 1.90 प्रतिशत की वृद्धि कर चुका है।

मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन की बैठक में किये गये गये निर्णयों की जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने टेलीविजन पर प्रसारित बयान में कहा, ‘‘एमपीसी ने रेपो दर 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 5.9 प्रतिशत करने का निर्णय किया है।’’

उन्होंने कहा कि एमपीसी के छह सदस्यों में पांच ने नीतिगत दर में वृद्धि का समर्थन किया। साथ ही समिति ने मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये नरम नीतिगत रुख को वापस लेने पर ध्यान देते रहने का भी फैसला किया है।

रेपो दर में वृद्धि के साथ स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 5.65 प्रतिशत जबकि सीमांत स्थायी सुविधा दर और बैंक दर 6.15 प्रतिशत हो गयी है।

दास ने कहा, ‘‘हम कोविड महामारी संकट, रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों के नीतिगत दर में आक्रामक वृद्धि के कारण उत्पन्न नये ‘तूफान’ का सामना कर रहे हैं।’’

आरबीआई ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिये मुद्रास्फीति अनुमान को 6.7 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। दूसरी तिमाही में इसके 7.1 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 6.5 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

आरबीआई ने कहा, ‘‘वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता से मुद्रास्फीति परिदृश्य पर असर पड़ा है। हालांकि, जिंसों के दाम में नरमी है लेकिन विकसित अर्थव्यवस्थाओं में मंदी का जोखिम है।’’

बयान के अनुसार, देर से बुवाई में सुधार से खरीफ उत्पादन अच्छा रहने का अनुमान है। रबी फसल को लेकर संभावना कुछ अच्छी लग रही है…। हालांकि अत्यधिक/बेमौसम बारिश से फसल को हुए नुकसान को लेकर जोखिम बना हुआ है।’’

दास ने कहा कि अगर कच्चे तेल के दाम में मौजूदा नरमी आगे बनी रही, तो महंगाई से राहत मिलेगी।

उल्लेखनीय है कि अगस्त में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति सात प्रतिशत थी, जो आरबीआई के संतोषजनक स्तर से ऊपर है। आरबीआई को मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर बरकरार रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है।

आर्थिक वृद्धि के बारे में उन्होंने कहा कि विभिन्न पहलुओं पर गौर करने के बाद चालू वित्त वर्ष के लिये जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर सात प्रतिशत किया गया है।

हालांकि, दास ने कहा कि वैश्विक संकट के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है।

आरबीआई के अनुसार, वैश्विक तनाव, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वित्तीय स्थिति तंग होने और विदेशों से मांग धीमी पड़ने से देश के जीडीपी के परिदृश्य को लेकर जोखिम है।

हालांकि, कृषि और संबद्ध गतिविधियों के परिदृश्य में सुधार तथा सेवा क्षेत्र में तेजी एवं सरकार के पूंजीगत व्यय पर जोर, विनिर्माण क्षेत्र में क्षमता उपयोग में सुधार तथा गैर-खाद्य कर्ज में तेजी से आर्थिक गतिविधियों में तेजी की उम्मीद है।

रुपये के मूल्य में गिरावट के बीच दास ने कहा कि डॉलर के मुकाबले घरेलू मुद्रा में उतार-चढ़ाव व्यवस्थित है और इसमें इस साल 28 सितंबर तक केवल 7.4 प्रतिशत की गिरावट आई है।

उन्होंने यह भी कहा कि आरबीआई घरेलू मुद्रा की कोई विनिमय दर तय नहीं करता।

अन्य बातों के अलावा आरबीआई ने ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा देने की जरूरत को ध्यान में रखते हुए क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के लिये इंटरनेट बैंकिंग सुविधा देने को लेकर पात्रता मानदंडों को युक्तिसंगत बनाने निर्णय किया है।

एमपीसी के सदस्य शशांक भिडे, प्रो. जयंत आर वर्मा, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देवव्रत पात्रा और शक्तिकांत दास ने रेपो दर में 0.5 प्रतिशत वृद्धि का समर्थन किया जबकि डॉ आशिमा गोयल ने रेपो रेट में 0.35 प्रतिशत बढ़ाने के पक्ष में वोट किया।

वहीं वृद्धि दर की गति बनाये रखने के साथ महंगाई को काबू में लाने के लिये उदार रुख को वापस लेने के पक्ष में पांच सदस्यों ने वोट किये जबकि वर्मा ने इस प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया।

मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक पांच से सात दिसंबर, 2022 को होगी।

भाषा

रमण अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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