चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति औसतन चार प्रतिशत पर रहेगीः क्रिसिल

चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति औसतन चार प्रतिशत पर रहेगीः क्रिसिल

चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति औसतन चार प्रतिशत पर रहेगीः क्रिसिल
Modified Date: July 16, 2025 / 03:44 pm IST
Published Date: July 16, 2025 3:44 pm IST

कोलकाता, 16 जुलाई (भाषा) रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति औसतन चार प्रतिशत रहने की उम्मीद जताई है, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह 4.6 प्रतिशत थी।

क्रिसिल ने अपनी नवीनतम अध्ययन रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के सामान्य से बेहतर मानसून के पूर्वानुमान को देखते हुए वित्त वर्ष 2025-26 में खाद्य मुद्रास्फीति कम रहने की उम्मीद है।

रिपोर्ट के मुताबिक, जिंस उत्पादों के दाम कम होने से गैर-खाद्य मुद्रास्फीति भी इस दौरान कम रहेगी।

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भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) प्रमुख ब्याज दर के संबंध में कोई भी निर्णय करते समय खुदरा मुद्रास्फीति को ही आधार बनाती है।

क्रिसिल ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। हालांकि, इसमें गिरावट का जोखिम बना हुआ है।

रेटिंग एजेंसी ने कहा कि अमेरिका में सीमा शुल्क बढ़ाए जाने को निर्यात के लिए जोखिम के रूप में देखा जा रहा है, जबकि बढ़िया मानसून एवं रेपो दर में कटौती जैसे घरेलू कारक वृद्धि के लिए मददगार साबित होंगे।

रिपोर्ट कहती है कि प्रणाली में सहयोगी तरलता होने से अर्थव्यवस्था की वित्तीय स्थिति में मदद मिलनी चाहिए, लेकिन रुपये के साथ पूंजी प्रवाह में भी उतार-चढ़ाव की आशंका है। बैंक ऋण वृद्धि कमजोर बनी हुई है।

इसके मुताबिक, मई, 2025 तक उपलब्ध आंकड़े पहली तिमाही में बैंक ऋण वृद्धि में नरमी का संकेत देते हैं।

क्रिसिल ने कहा कि मुद्रास्फीति में नरमी मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) को इस वित्त वर्ष में एक बार फिर रेपो दर में कटौती करने और फिर कुछ समय के लिए विराम देने की गुंजाइश देगी। हालांकि, वैश्विक अनिश्चितताएं पूंजी प्रवाह और मुद्रा की गतिविधियों में अस्थिरता जारी रख सकती हैं।

एमपीसी ने अपनी जून की बैठक में रेपो दर में 0.50 प्रतिशत की कटौती की थी, जिससे यह घटकर 5.5 प्रतिशत हो गई थी।

वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आया है, जो जनवरी, 2025 के बाद पहली बार जून में 80 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया था। इससे बॉन्ड प्रतिफल, शेयर बाज़ार और रुपये पर दबाव देखने को मिला।

भाषा प्रेम प्रेम अजय

अजय


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