हड़ताल से केरल, ओडिशा, अन्य राज्यों में जनजीवन प्रभावित, बैंकिंग परिचालन पर असर | Strike affects normal life in Kerala, Odisha, other states, impacts banking operations

हड़ताल से केरल, ओडिशा, अन्य राज्यों में जनजीवन प्रभावित, बैंकिंग परिचालन पर असर

हड़ताल से केरल, ओडिशा, अन्य राज्यों में जनजीवन प्रभावित, बैंकिंग परिचालन पर असर

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:49 PM IST, Published Date : November 26, 2020/4:37 pm IST

नयी दिल्ली, 26 नवंबर (भाषा) भाजपा नीत संघ सरकार की नीतियों के विरोध में केंद्रीय श्रमिक संगठनों द्वारा बृहस्पतिवार को बुलायी गयी राष्ट्रव्यापी हड़ताल से केरल, पश्चिम बंगाल, असम और तेलंगाना में आम जनजीवन प्रभावित हुआ। कुछ बैंक कर्मचारी संगठनों के इसमें शामिल होने से सरकारी बैंकों का कामकाज भी आंशिक रूप से प्रभावित रहा।

वामपंथी सरकार वाले केरल में सभी सरकारी कार्यालय, बड़े कारोबार और सार्वजनिक परिवहन सेवाएं बंद रही।

पश्चिम बंगाल में वाम दलों के विरोध रैलियां निकालने के दौरान छिटपुट झड़प की खबरें आयीं। ओडिशा, पुडुच्चेरी, असम और तेलंगाना में हड़ताल ने आंशिक तौर पर आम जनजीवन को प्रभावित किया।

बैंक कर्मचारी संगठनों के भी इस हड़ताल में शामिल होने के चलते केरल, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर के राज्यों में बैंकिंग परिचालन बाधित रहा। बैंकों की कई शाखाओं में जमा, निकासी और चेक समाशोधन का काम प्रभावित हुआ।

देश के अन्य इलाकों में हड़ताल का आंशिक असर दिखा। कई बैंक शाखाओं पर सीमित प्रभाव पड़ा।

हालांकि बैंक संगठनों का दावा है कि हड़ताल के चलते देशभर में करीब 18,000 करोड़ रुपये मूल्य के चेक समाशोधन के लिए नहीं भेजे जा सके। वहीं देश के कुछ इलाकों में एटीएम भी सूने पड़े रहे।

हालांकि देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक और निजी क्षेत्र के बैंकों में कामकाज सामान्य बताया गया।

वहीं निवार चक्रवात के चलते सरकारी छुट्टी के आदेश की वजह से तमिलनाडु के 16 जिलों में बैंक पूरी तरह बंद रहे।महाराष्ट्र में करीब 30,000 बैंक कर्मचारी हड़ताल में शामिल हुए। मुंबई में होरनिमान गोल चक्कर पर 200 बैंक कर्मचारियों ने मानव श्रृंखला बनायी।

भारतीय मजदूर संघ को छोड़कर 10 केंद्रीय मजदूर संगठनों ने मुख्य तौर पर नए कृषि और श्रम कानूनों समेत सरकार की विभिन्न नीतियों के खिलाफ यह हड़ताल बुलायी थी।

कई अन्य स्वतंत्र श्रमिक संगठनों ने भी इस हड़ताल को अपना समर्थन दिया है।

श्रमिक संगठनों ने एक संयुक्त बयान में कहा, ‘‘ केरल, पुडुच्चेरी, ओडिशा, असम और तेलंगाना में हड़ताल के दौरान पूर्ण बंद रहा। तमिलनाडु के 13 जिलों में पूर्ण बंद की स्थिति रही, जबकि अन्य जिलों में औद्योगिक हड़ताल जारी रही। पंजाब एवं हरियाणा में राज्य परिवहन निगम की बसों का भी चक्का जाम रहा।’’

बयान के मुताबिक झारखंड और छत्तीसगढ़ में बाल्को समेत अन्य जगहों पर पूर्ण हड़ताल रही।

हड़ताल में भाग लेने वाले 10 केंद्रीय श्रमिक संगठन इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक), हिंद मजदूर सभा (एचएमएस), सेंटर ऑफ इंडिया ट्रेड यूनियंस (सीटू), ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआईयूटीयूसी), ट्रेड यूनियन को-ऑर्डिनेशन सेंटर (टीयूसीसी), सेल्फ-एंप्यॉलयड वीमेंस एसोसिएशंस (सेवा), ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (एआईसीसीटीयू), लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (एलपीएफ) और युनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (यूटीयूसी) हैं।

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से सम्बद्ध भारतीय मजदूर संघ को छोड़कर अन्य केंद्रीय श्रमिक संगठनों की हड़ताल में भागीदारी रही।

हिंद मजदूर सभा के महासचिव हरभजन सिंह सिद्धू ने पीटीआई-भाषा से कहा कि बृहस्पतिवार की राष्ट्रव्यापी हड़ताल में करीब 25 करोड़ श्रमिकों के शामिल होने का अनुमान है।

उन्होंने कहा कि रक्षा, रेलवे, दूरसंचार, इस्पात, तेल एवं गैस और कोयला श्रमिकों समेत अन्य निजी क्षेत्र के श्रमिक संगठनों का भी इस हड़ताल को समर्थन मिला है।

बयान में दावा किया गया है कि राज्य और केंद्र सरकार के कर्मचारियों के अलावा आयकर विभाग, लोक उपक्रमों के कर्मचारियों ने भी हड़ताल में भागीदारी निभायी। डाक सेवकों ने संपूर्ण हड़ताल की।

किसान संगठनों के संयुक्त मंच अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने भी इस आम हड़ताल को अपना समर्थन दिया है।

घरेलू सहायक, निर्माण श्रमिक, बीड़ी मजदूर, रेहड़ी-पटरी वालों, कृषि मजदूर, ग्रामीण और शहरी इलाकों में स्वरोजगार करने वालों ने भी ‘चक्का जाम’ में शामिल हुए।

कई राज्यों में ऑटोरिक्शा और टैक्सी ड्राइवर भी हड़ताल में शामिल रहे।

बयान में कहा गया है कि बैंको, बीमा कंपनियों और वित्तीय संस्थानों में कामकाज प्रभावित रहा।

ऑल इंडिया बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन (एआईबीईए), ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन (एआईबीओए) और बैंक एम्पलाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीईएफआई) से जुड़े बैंक कर्मचारी हड़ताल में शामिल हुए।

वहीं बैंक अधिकारियों के एक संगठन- अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ (एआईबीओसी) के महासचिव सौम्य दत्ता ने कहा कि संगठन हड़ताल में शामिल नहीं हुआ लेकिन वह इसका समर्थन करता हे।

उन्होंने कहा कि संगठनों ने सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रस्तावित निजीकरण के खिलाफ राष्ट्रव्यापी अभियान छेड़ा है।

दत्ता ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के आंतरिक कार्यकारी समूह की एक हालिया रपट में भी कॉरपोरेट कंपनियों को बैकिंग क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति देने पर सवाल उठाए गए हैं। रपट में कहा गया है कि यह उन्हें देश के बचतकर्ताओं की जमा पूंजी लूटने देने का एक और अवसर देना होगा।

उन्होंने कहा कि अब यह बात सबके सामने है कि गैर-निष्पादित आस्तियों (फंसे कर्ज) की मौजूदा समस्या की वजह कॉरपोरेट कंपनियों का कोष को इधर-उधर कर धोखाधड़ी करना है।

एआईबीईए, भारतीय स्टेट बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक के कर्मचारियों को छोड़कर लगभग सभी बैंक कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था है। विभिन्न सरकारी और निजी क्षेत्र के पुराने बैंकों समेत कुछ विदेशी बैंकों के लगभग चार लाख कर्मचारी एआईबीईए के सदस्य हैं।

भाषा

शरद मनोहर

मनोहर

 

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