एथनॉल में खपत बढ़ने से अगले सत्र में चीनी उत्पादन घटकर 3.05 करोड़ टन रह सकता है: अधिकारी

एथनॉल में खपत बढ़ने से अगले सत्र में चीनी उत्पादन घटकर 3.05 करोड़ टन रह सकता है: अधिकारी

एथनॉल में खपत बढ़ने से अगले सत्र में चीनी उत्पादन घटकर 3.05 करोड़ टन रह सकता है: अधिकारी
Modified Date: November 29, 2022 / 08:41 pm IST
Published Date: September 6, 2021 7:22 pm IST

नयी दिल्ली, छह सितंबर (भाषा) एथनॉल बनाने में अधिक गन्ने की खपत होने से अगले चीनी सत्र 2021-22 में भारत का चीनी उत्पादन मामूली गिरावट के साथ 3.05 करोड़ टन रह सकता है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि चालू चीनी सत्र 2020-21 (अक्टूबर- सितंबर) में चीनी उत्पादन 3.10 करोड़ टन तक होने का अनुमान है।

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ब्राजील के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश है।

खाद्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव सुबोध कुमार ने कहा, ‘‘इस साल गन्ने की फसल कुल मिलाकर अच्छी है। हम एथनॉल बनाने के लिए अधिक गन्ना इस्तेमाल होने की उम्मीद कर रहे हैं और परिणामस्वरूप 2021-22 सत्र के दौरान मामूली कम होकर 3.05 करोड़ टन रह सकता है।’’

उन्होंने कहा कि मौजूदा सत्र में एथनॉल उत्पादन में जो गन्ना खपत हुआ है उससे 20 लाख टन चीनी उत्पादन हो सकता था, जबकि 2021-22 सत्र में 35 लाख टन चीनी उत्पादन में काम आने वाले गन्ने को एथनॉल में खपाया जा सकता है।

हालांकि, चीनी का उत्पादन घरेलू खपत के लिए जरूरी मात्रा के लिहाज से पर्याप्त होगा। चीनी की खपत 2021-22 सत्र में तीन से चार लाख टन बढ़कर 2.63-2.65 करोड़ टन तक पहुंच जाने की उम्मीद है। पिछले 2020-21 के सत्र में घरेलू खपत 2.6 करोड़ टन रहने का अनुमान लगाया गया है।

नये सत्र की शुरुआत में चीनी का बचा स्टॉक 90-95 लाख टन और अनुमानित उत्पादन 3.05 करोड़ टन होने पर 2021-22 सत्र में चीनी की कुल उपलब्धता 3.95 से चार करोड़ टन के दायरे में रहने का अनुमान है।

इस लिहाज से चीनी की घरेलू खपत 2.65 करोड़ टन और अगले सत्र में 70 लाख टन चीनी का निर्यात होने की उम्मीद के साथ अगले सत्र के अंत में चीनी का बचा स्टॉक लगभग 60-65 लाख टन रह जायेगा।

अधिकारी के अनुसार, चालू सत्र में गन्ने का कुल 91,000 करोड़ रुपये के बकाये के मुकाबले अब तक लगभग 83,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है।

उन्होंने कहा, ‘शेष बचे 8,000 करोड़ रुपये के बकाये में अगले एक महीने में और कमी आ सकती है।’

भाषा राजेश

राजेश महाबीर

महाबीर


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