टाटा संस ने एयर इंडिया के अधिग्रहण के लिए सफल बोली दी, स्पाइसजेट के प्रवर्तक को पछाड़ा |

टाटा संस ने एयर इंडिया के अधिग्रहण के लिए सफल बोली दी, स्पाइसजेट के प्रवर्तक को पछाड़ा

टाटा संस ने एयर इंडिया के अधिग्रहण के लिए सफल बोली दी, स्पाइसजेट के प्रवर्तक को पछाड़ा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:59 PM IST, Published Date : October 8, 2021/4:56 pm IST

नयी दिल्ली, आठ अक्टूबर (भाषा) टाटा संस ने कर्ज में डूबी सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया के अधिग्रहण की बोली जीत ली है।

सरकारी कंपनियों के निजीकरण की जिम्मेदारी संभालने वाले केंद्र सरकार के निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने कहा कि टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस की एक विशेष इकाई (एसपीवी) सफल बोलीदाता के रूप में उभरी है।

एयर इंडिया के अधिग्रहण की दौड़ में टाटा संस ने स्पाइसजेट के प्रवर्तक अजय सिंह को पीछे छोड़ा जिन्होंने व्यक्तिगत क्षमता में बोली लगायी थी।

दीपम के सचिव ने कहा कि टाटा की 18,000 करोड़ रुपये की बोली में 15,300 करोड़ रुपये का कर्ज लेना और बाकी का नकद भुगतान करना शामिल है।

उन्होंने बताया कि दोनों बोलीदाताओं ने आरक्षित मूल्य से ऊपर बोली लगायी थी और इस सौदे को दिसंबर तक पूरा करने की योजना है।

पांडेय ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित मंत्रियों के एक समूह ने चार अक्टूबर को एयर इंडिया के लिए विजेता बोली को मंजूरी दी।

इसके साथ ही टाटा समूह में एयर इंडिया की वापसी हुई है।

जहांगीर रतनजी दादाभाई (जेआरडी) टाटा ने 1932 में एयरलाइन की स्थापना की। तब इसे टाटा एयरलाइंस कहा जाता था। 1946 में टाटा संस के विमानन प्रभाग को एयर इंडिया के रूप में सूचीबद्ध किया गया था और 1948 में एयर इंडिया इंटरनेशनल को यूरोप के लिए उड़ानों के साथ शुरू किया गया था।

अंतरराष्ट्रीय सेवा भारत में पहली सार्वजनिक-निजी भागीदारी में से एक थी, जिसमें सरकार की 49 प्रतिशत, टाटा की 25 प्रतिशत और जनता की शेष हिस्सेदारी थी।

1953 में एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण किया गया था।

सरकार सरकारी स्वामित्व वाली एयरलाइन में अपनी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच रही है, जिसमें एयर इंडिया की एआई एक्सप्रेस लिमिटेड में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी और एयर इंडिया एसएटीएस एयरपोर्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी शामिल है।

भाषा प्रणव अजय

अजय

 

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