डिजिटल मंचों पर ट्रैसेबिलिटी से कम हो रही है उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा, निजता: इंटरनेट सोसाइटी | Trafficability on digital platforms is getting less than users' security, privacy: Internet Society

डिजिटल मंचों पर ट्रैसेबिलिटी से कम हो रही है उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा, निजता: इंटरनेट सोसाइटी

डिजिटल मंचों पर ट्रैसेबिलिटी से कम हो रही है उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा, निजता: इंटरनेट सोसाइटी

डिजिटल मंचों पर ट्रैसेबिलिटी से कम हो रही है उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा, निजता: इंटरनेट सोसाइटी
Modified Date: November 29, 2022 / 08:37 pm IST
Published Date: January 18, 2021 12:42 pm IST

नयी दिल्ली, 18 जनवरी (भाषा) अमेरिका स्थित गैर-लाभकारी संगठन इंटरनेट सोसाइटी द्वारा जारी एक श्वेतपत्र में कहा गया है कि भारत में डिजिटल मंचों पर संदेश की शुरुआत करने वाले का पता लगाने पर बहस जारी रहेगी और इसके लिए प्रस्तावित विचार को लागू करने से उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा तथा निजता पर विपरीत असर पड़ सकता है।

इंटरनेट सोसाइटी ने हाल ही में ट्रैसेबिलिटी और साइबर स्पेस पर एक श्वेतपत्र जारी किया, जिसमें कहा गया है कि इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 2018 के अंत में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश) नियमों में संशोधन का प्रस्ताव रखा था। इस संशोधनों के बाद ट्रैसेबिलिटी प्रदान नहीं करने की स्थिति में कंटेंट के लिए ऑनलाइन प्लेटफार्म को जवाबदेह माना जाएगा।

सरकार ने सोशल मीडिया और मोबाइल संदेश मंचों से उन संदेशों को भेजने वालों का पता लगाने को कहा है, जो देश में कानून और व्यवस्था को बिगाड़ने का इरादा रखते हैं।

श्वेत-पत्र में कहा गया कि भारत में डिजिटल मंचों और संचार सेवा मुहैया कराने वालों के बीच ट्रैसेबिलिटी एक प्रमुख मुद्दा बना रहेगा, हालांकि इसे लेकर सुरक्षा, गोपनीयता और कार्यकुशल को लेकर ठोस चिंताए भी हैं।

इंटरनेट सोसाइटी ने कहा कि भारत में डिजिटल हस्ताक्षर और मेटाडेटा (डिजिटल सूचना स्रोत से कोई भी डेटा) के उपयोग का प्रस्ताव है, जो डिजिटल मंचों को अपने उपयोगकर्ताओं की सामग्री तक पहुंचने में सक्षम बनाने के लिए मजबूर कर सकता है।

उच्चतम न्यायालय ने कुछ अपवादों के साथ निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में बरकरार रखा है।

इंटरनेट सोसाइटी की एशिया प्रशांत में वरिष्ठ नीति सलाहकार नोएले डी गुजमैन ने पीटीआई-भाषा से कहा कि भारत सरकार का अपने नागरिकों को ऑनलाइन और वास्तविक जीवन में सुरक्षित रखने के बारे में सोचना सही है।

उन्होंने कहा कि हालांकि आतंकवाद और भ्रामक सूचना इंटरनेट संबंधि चुनौती नहीं है, जबकि एक एक व्यापक सामाजिक मुद्दा है। इनके समाधान के लिए अधिक व्यापक संवाद की जरूरत है, जिसमें प्रौद्योगिकी समुदाय को भी शामिल करना चाहिए, ताकि मजबूत साइबर सुरक्षा पद्धतियां समाधान का हिस्सा बनें।

भाषा पाण्डेय मनोहर

मनोहर

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