ट्राई का मोबाइल बैंकिंग, भुगतान सेवाओं को एकबारगी दिखने वाले संदेशों पर शून्य शुल्क का प्रस्ताव

ट्राई का मोबाइल बैंकिंग, भुगतान सेवाओं को एकबारगी दिखने वाले संदेशों पर शून्य शुल्क का प्रस्ताव

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  • Publish Date - November 24, 2021 / 07:01 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:52 PM IST

नयी दिल्ली, 24 नवंबर (भाष) दूरसंचार नियामक ट्राई ने बुधवार को डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने को लेकर मोबाइल बैंकिंग और भुगतान सेवाओं के लिये मोबाइल स्क्रीन पर एकबारगी दिखने वाले यानी यूएसएसडी (असंरचित पूरक सेवा डाटा) संदेशों पर लगने वाले शुल्क को हटाने का प्रस्ताव किया है।

यूएसएसडी संदेश मोबाइल फोन के स्क्रीन पर दिखता है और एसएमएस की तरह यह फोन में ‘स्टोर’ नहीं होता। इस प्रौद्योगिकी का व्यापक तौर पर उपयोग मोबाइल फोन पर बातचीत या एसएमएस के बाद पैसे कटने या संबंधित दूरसंचार कंपनी से फोन रिचार्ज तथा अन्य जानकारी मांगने पर दिये जाने वाले संदेश में होता है।

फिलहाल भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने यूएसएसडी सत्र के लिये कीमत 50 पैसे नियत की हुई है। प्रत्येक सत्र आठ चरण में पूरा हो सकता है।

डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिये भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा गठित एक उच्चस्तरीय समिति ने यह सुझाव दिया है। इसका मकसद डिजिटलीकरण को प्रोत्साहित करना और वित्तीय समावेशन को बढ़ाना है।

वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) भी समिति की सिफारिशों से सहमत है।

ट्राई ने एक बयान में कहा कि वित्तीय सेवा विभाग के इस संदर्भ में दूरसंचार विभाग से आग्रह के बाद नियामक ने मामले के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण किया है। ट्राई का मानना है कि यूएसएसडी उपयोगकर्ताओं के हितों की रक्षा और डिजिटल वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिये यूएसएसडी शुल्क को युक्तिसंगत बनाना जरूरी है।

नियामक ने कहा, ‘‘इसके अनुसार, प्राधिकरण ने यूएसएसडी आधारित मोबाइल बैंकिंग और भुगतान सेवाओं के लिये प्रति यूएसएसडी सत्र के लिये शून्य शुल्क का प्रस्ताव किया है। इसमें यूएसएसडी से जुड़ी अन्य चीजों को पहले की तरह कायम रखा गया है।’’

बयान के अनुसार, मोबाइल बैंकिंग के लिये प्रति यूएसएसडी सत्र को लेकर मौजूदा शुल्क ढांचा एक मिनट के लिये किये गये ‘वॉयस कॉल’ या एक एसएमएस की दर से कई गुना ऊंचा है।

ट्राई ने कहा, ‘‘अन्य सेवाओं के लिये शुल्क में कमी को देखते हुए यूएसएसडी लेन-देन की संख्या बढ़ाने को लेकर दरों को युक्तिसंगत बनाने की जरूरत है।’’

नियामक ने प्रस्ताव के मसौदे पर विभिन्न पक्षों से आठ दिसंबर तक सुझाव मांगे है।

भाषा

रमण अजय

अजय