कार्यस्थल 2026 में परस्पर अधिक जुड़े हुए और मानव-केंद्रित होंगे: रिपोर्ट
कार्यस्थल 2026 में परस्पर अधिक जुड़े हुए और मानव-केंद्रित होंगे: रिपोर्ट
नयी दिल्ली, 17 दिसंबर (भाषा) कृत्रिम मेधा, बदलते श्रम नियम और कर्मचारियों की बढ़ती अपेक्षाएं आने वाले वर्ष में संगठनों के वेतन, मानव संसाधन और कार्य-प्रदर्शन की दिशा तय करेंगे।
‘ह्यूमन कैपिटल मैनेजमेंट’ (एचसीएम) समाधान में विशेषज्ञता रखने वाली अग्रणी वैश्विक प्रौद्योगिकी कंपनी एडीपी की रिपोर्ट के अनुसार 2026 में भारत के कार्यस्थल अधिक समझदारीपूर्ण, परस्पर अधिक जुड़े हुए और मानव-केंद्रित होंगे।
‘फ्यूचर ऑफ पे इन इंडिया 2025’ रिपोर्ट में कहा गया कि जो संगठन वेतन प्रणाली के आधुनिकीकरण को अपनाते हैं, नियमों के पालन की तैयारी में निवेश करते हैं और कर्मचारियों के वित्तीय कल्याण को प्राथमिकता देते हैं, वे भविष्य की कार्यबल से जुड़ी अनिश्चितताओं का बेहतर तरीके से सामना कर पाएंगे।
एडीपी के भारत एवं दक्षिण-पूर्व एशिया के प्रबंध निदेशक राहुल गोयल ने कहा, ‘‘आने वाला वर्ष भारत के नियोक्ताओं के लिए अवसर एवं जटिलता दोनों लेकर आएगा। कौशल, नई पूंजी में तब्दील हो रहे हैं, स्वचालन काम करने के तरीकों को नया रूप दे रहा है और कर्मचारी ऐसे कार्य अनुभव की अपेक्षा कर रहे हैं जो उत्पादकता के साथ-साथ व्यक्तिगत भलाई का भी समर्थन करे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ ऐसे परिदृश्य में, जो संगठन सहानुभूति, सुव्यवस्था एवं चपलता के साथ काम करेंगे…वे समय से आगे बने रहेंगे।’’
भविष्य के कार्यस्थल को नया रूप देने वाले तीन कारक कृत्रिम मेधा, नियमों के पालन की बढ़ती जटिलता और कर्मचारियों की बदलती अपेक्षाएं हैं।
एडीपी के शोध आंकड़ों के अनुसार, करीब 35 प्रतिशत भारतीय व्यवसाय अगले दो से तीन वर्ष में मानव संसाधन और वेतन संबंधी नवाचार के लिए कृत्रिम मेधा (एआई) को मुख्य सहायक मानते है, जो एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सबसे अधिक है।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘जैसे-जैसे उद्यमों का विस्तार होगा, स्वचालन बड़े पैमाने पर होने वाली और नियम-आधारित प्रक्रियाओं को संभालेगा, जिससे मानव संसाधन दल विवेकपूर्ण निर्णयों और कर्मचारियों की सहभागिता पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे।’’
इसमें कहा गया कि भविष्य में कड़े नियामक निरीक्षण और बदलती श्रम परिभाषाओं के साथ, समय एवं उपस्थिति का सटीक प्रबंधन परिचालन की एक प्रमुख प्राथमिकता बन जाएगा।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘ संगठनों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे विश्वसनीय रिकॉर्ड सुनिश्चित करने के लिए ‘बायोमेट्रिक सिस्टम’, सुरक्षित ‘मोबाइल अटेंडेंस’ उपकरण और ‘जियोलोकेशन’ आधारित समाधानों में अधिक निवेश करें। हालांकि अनुपालन दबाव का एक प्रमुख बिंदु बना रहेगा।’’
‘फ्यूचर ऑफ पे इन इंडिया 2025’ रिपोर्ट के अनुसार, बड़ी संख्या में भारतीय संगठन नियामक बदलावों के साथ तालमेल बैठाने में संघर्ष कर रहे हैं जिससे आने वाले वर्ष में यह एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बनेगा।
इसमें कहा गया कि 2026 में कल्याण संबंधी पहलों में पारंपरिक स्वास्थ्य लाभों से आगे बढ़कर मानसिक स्वास्थ्य परामर्श, वित्तीय योजना, देखभाल सहायता संसाधन एवं तनाव प्रबंधन, सहनशीलता निर्माण तथा व्यक्तिगत संतुलन बनाए रखने के लिए संरचित कार्यक्रमों को शामिल किया जाएगा।
इसके अलावा, कंपनियां वेतन समानता पर अधिक ध्यान देंगी और निष्पक्षता व पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए समय-समय पर किए जाने वाले आकलनों से हटकर, निरंतर आंकड़ा-आधारित निगरानी की ओर बढ़ेंगी।
रिपोर्ट में अंत में कहा गया कि वित्तीय कल्याण कार्यक्रमों का दायरा लगातार बढ़ेगा, जिसमें कंपनियां कर संबंधी मार्गदर्शन, बचत उपकरण, निवेश जागरूकता सत्र और सेवानिवृत्ति योजना संसाधन उपलब्ध कराएंगी ताकि कर्मचारियों को दीर्घकालिक स्थिरता मिल सके।
भाषा निहारिका नरेश
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