Navratri Ashtami Puja Muhurat 2025: महाअष्‍टमी पर ग्रहों का अद्भुत संयोग, कन्या पूजन का ये है शुभ मुहूर्त, जानें मां महागौरी की पूजा विधि सहित अन्य बातें |

Navratri Ashtami Puja Muhurat 2025: महाअष्‍टमी पर ग्रहों का अद्भुत संयोग, कन्या पूजन का ये है शुभ मुहूर्त, जानें मां महागौरी की पूजा विधि सहित अन्य बातें

महाअष्‍टमी पर ग्रहों का अद्भुत संयोग, कन्या पूजन का ये है शुभ मुहूर्त, Amazing combination of planets on Maha Ashtami, this is the auspicious time for Kanya Pujan

Edited By :  
Modified Date: April 5, 2025 / 08:10 AM IST
,
Published Date: April 5, 2025 8:10 am IST
HIGHLIGHTS
  • महाष्टमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है।
  • महाष्टमी पूजन का मुहूर्त 5 अप्रैल को सुबह 11:59 बजे से 12:29 बजे तक रहेगा।
  • कन्या पूजन के दौरान नौ कन्याओं का पूजन विभिन्न फलों की प्राप्ति के लिए किया जाता है।

नई दिल्लीः Navratri Ashtami Puja Muhurat 2025:  चैत्र नवरात्रि के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को दुर्गा अष्टमी और महाष्टमी के नाम से जाना जाता है। इस दिन माता महागौरी की उपासना की जाती है। इसके साथ ही इस दिन कन्या पूजन करने से कई गुना अधिक फलों की प्राप्ति होती है। इस साल महाष्टमी के दिन सर्वार्थसिद्धि, लक्ष्मी नारायण, पंचग्रही जैसे कई राजयोगों का निर्माण हो रहा है, जिससे इस अवधि में मां दुर्गा की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है।

Navratri Ashtami Puja Muhurat 2025:  अष्टमी तिथि का शुभ मुहूर्त शुक्रवार, 4 अप्रैल को रात 8:12 बजे से आरंभ हो गया है और यह 5 अप्रैल को शाम 7:26 बजे तक रहेगा। चूँकि अष्टमी तिथि शुक्रवार की रात को प्रारंभ होकर शनिवार को पूरी दिन रहेगी, इसलिए महाष्टमी का पर्व शनिवार को ही मनाया जाएगा। महाष्टमी के दिन कन्या पूजन का मुहूर्त 5 अप्रैल को सुबह 11:59 बजे से लेकर 12:29 बजे तक रहेगा। इस समय के बीच भक्तगण कन्याओं को पूजकर उन्हें आशीर्वाद देते हैं।

Read More : Amit Shah CG Visit: आज दंतेवाड़ा जाएंगे गृहमंत्री अमित शाह, “बस्तर पंडूम” कार्यक्रम में होंगे शामिल 

चैत्र नवरात्र महाअष्टमी पूजन विधि

इस दिन आप ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान करें, स्वच्छ कपड़े पहनें। अपने घर की मंदिर को साफ करें और फिर थोड़ा गंगाजल का छिड़काव करें। फिर, मां दुर्गा का चित्र या मूर्ति को गंगाजल से साफ करें। उसके बाद मां दुर्गा को लाल फूल, फल, अक्षत, सिंदूर, धूप, दीप, नैवेद्य आदि चढ़ाएं। फिर, मां को भोग लगाएं। इसके बाद मां को नारियल के भोग लगाएं, ऐसा करने से मां प्रसन्न होकर आपकी सारी मनोकामना स्वयं पूरी करती हैं।

कैसे किया जाता है कन्या पूजन

चैत्र नवरात्र की अष्टमी वाले दिन हवन और कन्या पूजन करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। नवरात्र में कन्या पूजन और हवन करने से मां की विशेष कृपा होती है और मां प्रसन्न होकर मन वांछित मनोकामना पूरी करती हैं। साथ ही, इस दिन कन्या पूजन करना इसलिए आवश्यक है क्योंकि कहा जाता ये छोटी कन्याएं मां दुर्गा की स्वरूप होती हैं। इनका पूजन करना, सम्मान करना मां दुर्गा की पूजा के बराबर माना जाता है।

Read More :RSS को लेकर प्रोफेसर ने पूछ लिया ऐसा सवाल, विश्वविद्यालय ने ले लिया ये बड़ा एक्शन, अब नहीं कर पाएंगे ये काम 

महाअष्टमी कन्या पूजन के नियम (Mahashtami Kanya Pujan niyam)

नवरात्र में सभी तिथियों को एक-एक और अष्टमी या नवमी को नौ कन्याओं की पूजा होती है। दो वर्ष की कन्या (कुमारी) के पूजन से दुख और दरिद्रता मां दूर करती हैं। तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति रूप में मानी जाती है। त्रिमूर्ति कन्या के पूजन से धन-धान्‍य आता है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है। चार वर्ष की कन्या को कल्याणी माना जाता है। इसकी पूजा से परिवार का कल्याण होता है। जबकि पांच वर्ष की कन्या रोहिणी कहलाती है। रोहिणी को पूजने से व्यक्ति रोगमुक्त हो जाता है। छह वर्ष की कन्या को कालिका रूप कहा गया है। कालिका रूप से विद्या, विजय, राजयोग की प्राप्ति होती है। सात वर्ष की कन्या का रूप चंडिका का है। चंडिका रूप का पूजन करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। आठ वर्ष की कन्या शाम्‍भवी कहलाती है। इनका पूजन करने से वाद-विवाद में विजय प्राप्त होती है। नौ वर्ष की कन्या दुर्गा कहलाती है। इसका पूजन करने से शत्रुओं का नाश होता है तथा असाध्य कार्यपूर्ण होते हैं। दस वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती है। सुभद्रा अपने भक्तों के सारे मनोरथ पूर्ण करती है।

महाष्टमी पर कन्या पूजन का मुहूर्त कब है?

महाष्टमी के दिन कन्या पूजन का मुहूर्त 5 अप्रैल 2025 को सुबह 11:59 बजे से लेकर 12:29 बजे तक रहेगा।

महाष्टमी पूजन में क्या विशेष ध्यान देना चाहिए?

महाष्टमी पूजन में ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, मां दुर्गा के चित्र या मूर्ति को गंगाजल से शुद्ध करें और फिर लाल फूल, फल, सिंदूर, धूप, दीप आदि चढ़ाकर मां की पूजा करें।

नवरात्रि के महाष्टमी पर किस प्रकार की कन्याओं का पूजन किया जाता है?

महाष्टमी पर नौ कन्याओं का पूजन किया जाता है, जिनकी उम्र के हिसाब से उनका महत्व और पूजन विधि अलग-अलग होती है। जैसे दो वर्ष की कन्या से दरिद्रता दूर होती है, जबकि नौ वर्ष की कन्या से शत्रुओं का नाश होता है।

महाष्टमी के दिन माता महागौरी की उपासना क्यों की जाती है?

महाष्टमी के दिन माता महागौरी की उपासना विशेष रूप से इस दिन के महत्व को बढ़ाती है, जिससे भक्तों को विशेष फल और आशीर्वाद मिलते हैं।

महाष्टमी की पूजा से क्या लाभ होते हैं?

महाष्टमी की पूजा से विशेष रूप से मनोकामनाएं पूरी होती हैं, जैसे सुख-समृद्धि, शत्रु नाश, रोग मुक्त होने आदि के लिए माता की कृपा प्राप्त होती है।