चिट्टा के खिलाफ जंग : सर्द रातों में बिलासपुर की महिलाओं ने संभाला मोर्चा

चिट्टा के खिलाफ जंग : सर्द रातों में बिलासपुर की महिलाओं ने संभाला मोर्चा

चिट्टा के खिलाफ जंग : सर्द रातों में बिलासपुर की महिलाओं ने संभाला मोर्चा
Modified Date: December 15, 2025 / 06:10 pm IST
Published Date: December 15, 2025 6:10 pm IST

बिलासपुर, 15 दिसंबर (भाषा) कड़ाके की ठंड वाली सर्द रात में, हाथों में मशालें थामे और डंडे लिए महिलाएं अपने घरों से निकलती हैं और अपने गांव लाघाट की सुनसान गलियों में गश्त करती हैं। उनके निशाने पर मिलावटी हेरोइन की तस्करी करने वाले गिरोह हैं, जिसे स्थानीय भाषा में चिट्टा कहा जाता है।

बिलासपुर सदर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाला लाघाट गांव, बैरी राजादियां पंचायत को बरमाना औद्योगिक क्षेत्र से जोड़ता है। महिलाओं ने बताया कि इस क्षेत्र में चौबीसों घंटे भारी वाहनों की आवाजाही रहती है, जिससे यह नशीले पदार्थों के तस्करों के लिए आवागमन का आसान मार्ग बन जाता है।

कड़ाके की ठंड वाली रातों में महिलाएं छोटे-छोटे समूहों में गांव की सड़कों पर गश्त करने निकलती हैं। वे राहगीरों पर कड़ी नजर रखती हैं और किसी भी संदिग्ध व्यक्ति से पूछताछ करती हैं।

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गश्ती दल में 25 से 50 वर्ष की आयु की महिलाएं शामिल हैं, जो सभी लाघाट महिला मंडल की सदस्य हैं। वे हर रात सड़कों पर रहती हैं, अपने बच्चों को मादक पदार्थों के खतरे से बचाने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं।

सोमवार को महिला मंडल की प्रमुख पिंकी शर्मा ने कहा, ‘हमारा उद्देश्य मादक पदार्थों के तस्करों को पकड़ना और गांव की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। नशे की लत न केवल व्यक्ति को, बल्कि परिवारों और पूरे समाज को बर्बाद कर देती है। पुलिस और प्रशासन के साथ-साथ समुदाय की भागीदारी आवश्यक है।’

उन्होंने कहा, ‘अगर हमें कोई भी संदिग्ध व्यक्ति नजर आया, तो हम उसे रोककर पुलिस को सूचित करेंगे।’

महिलाओं ने कहा कि गांव में न तो मादक पदार्थ तस्करों के लिए और न ही उन्हें पनाह देने वालों के लिए कोई जगह है, और चेतावनी दी कि आवश्यकता पड़ने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

समूह की सदस्य अंजू शर्मा ने बताया कि नवनिर्मित संपर्क मार्ग के कारण रात में बाहरी लोगों की आवाजाही बढ़ गई है, जिसका फायदा तस्कर युवाओं को लुभाने के लिए उठाते हैं। इस अभियान को ग्रामीणों का पूरा समर्थन मिला है।

बिलासपुर एसपी संदीप धवल ने इस पहल की सराहना की और पुलिस की ओर से पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा, ‘महिलाएं उत्कृष्ट कार्य कर रही हैं। इस प्रयास में उन्हें पुलिस का पूरा सहयोग मिलेगा। नशीले पदार्थों की बिक्री या सेवन में शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।’

हिमाचल प्रदेश चिट्टा जैसे खतरनाक नशीले पदार्थों के प्रसार से जूझ रहा है, जिसने कई युवाओं की जान ले ली है। सरकार, पुलिस, पंचायतें और स्थानीय समुदाय इस खतरे से निपटने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।

राज्य फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला के पूर्व निदेशक अरुण शर्मा ने बताया कि चिट्टा या डायएसिटाइलमॉर्फिन, हेरोइन से प्राप्त एक अर्ध-सिंथेटिक ओपिऑइड है, जो अत्यधिक व्यसनकारी और घातक है। इसकी अधिक मात्रा घातक हो सकती है।

पुलिस ने पहले बताया था कि इस मादक पदार्थ की कीमत 4,000 से 6,000 रुपये प्रति ग्राम के बीच है। उच्च मुनाफे के कारण कई मादक पदार्थ तस्कर चिट्टा (एक प्रकार का ड्रग) की ओर रुख कर रहे हैं, और इस कारोबार में शामिल नेटवर्क में छात्रों की भागीदारी भी बढ़ती जा रही है।

भाषा तान्या दिलीप

दिलीप


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