Chhattisgarh Assembly Election 2023 : रायपुर। छत्तीसगढ़ में वर्ष 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने बड़ा फेरबदल किया है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के पद से विष्णुदेव साय को हटाकर बिलासपुर से सांसद अरूण साव को जिम्मेदारी दे दी है। अब इस नई नियुक्ति के बाद कांग्रेस और भाजपा के नेताओं के बीच जुबानी जंग शुरू हो गई है। कांग्रेस कह रही है कि आज आदिवासी दिवस में विष्णुदेव साय को हटाया गया, इससे भाजपा की आदिवासी विरोधी मानसिकता सामने आ गई है। इस पर भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा है कि भाजपा देश और प्रदेश के आदिवासियों का सम्मान करती है।
इसका सबसे बड़ा उदाहरण द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति बनना है। वही दूसरी ओर क्या अरूण साव पार्टी के नेता और कार्यकर्ताओं में जान फूंक सकेंगे ? क्या आदिवासी प्रदेश अध्यक्ष को हटाने से भाजपा को होगा नुकसान? या साहू समाज से नाता रखने वाले अरूण साव के कारण भाजपा को सामाजिक वोट मिलेंगे? इन सभी मुद्दों पर करेंगे विस्तार से चर्चा।
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दरअसल, पिछले कुछ महीनों से लगातार यह खबरें आ रही थी कि भाजपा संगठन में परिवर्तन हो सकता है और आज यही हुआ। जब विष्णु देव साय को हटाकर बिलासपुर के सांसद अरूण साव को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दे दी गई। इससे पहले नेतृत्व परिवर्तन को लेकर भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने काफी विचार विमर्श यह समीकरण तैयार किए। इसीलिए भाजपा प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी और राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश जिलों तक पहुंचे और राज्य के किसी बड़े नेता की गैर-मौजूदगी में सीधे स्थानीय नेता और कार्यकर्ताओं से चर्चा कर टटोल लिया कि 2023 का चुनाव कैसे जीता जा सकता है। इस बीच भाजपा ने अजय जामवाल को छत्तीसगढ़ का क्षेत्रीय संगठन महामंत्री बनाकर भेजा। जिन्होंने पिछले हफ्ते 3 दिन छत्तीसगढ़ भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से चर्चा कर दिल्ली में भाजपा के सभी सांसदों की बैठक प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय और प्रदेश संगठन महामंत्री पवन साय की मौजूदगी में ली।
बता दें इस बैठक में बिलासपुर सांसद अरुण साव भी मौजूद थे। वही एक चर्चा यह भी है कि नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक की जगह किसी दूसरे ओबीसी वर्ग से आने वाले नेता को मौका दिया जाए। फिलहाल अपनी नियुक्ति पर अरूण साव ने कहा कि पार्टी ने मुझे अहम जिम्मेदारी दी है। 2023 में कांग्रेस को हराकर सत्ता में वापसी करेगी।
दरअसल अरूण साव की नियुक्ति के पीछे भाजपा की कई रणनीति है। खासकर छत्तीसगढ़ में ओबीसी वर्ग में आने वाले कुर्मी और साहू की आबादी में अंतर बहुत कम है। वर्तमान में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कुर्मी जाति से आते हैं। इसके सामने भाजपा ने कुर्मी जाति के ही धरमलाल कौशिक को नेता प्रतिपक्ष बनाया है। विष्णुदेव साय को हटाए जाने के बाद भाजपा की रणनीति यही लगती है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को आदिवासी वर्ग से राष्ट्रपति बना कर देश भर के आदिवासियों का दिल जीता है और दूसरी चीज की भाजपा को लग रहा है कि आदिवासी क्षेत्रों में कांग्रेस विधायकों की स्थिति ठीक नहीं है। कारण आदिवासी वोट कभी एक पार्टी के नहीं रहे है। इसलिए इन सभी कारणों को देखते हुए भाजपा आदिवासी प्रदेश अध्यक्ष को हटाकर ओबीसी वर्ग से आने वाले अरूण साव को जिम्मेदारी दे दी है। अब इस पर कांग्रेस और भाजपा के बीच जबरदस्त बयानबाजी हो रही है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अरूण साव को बधाई देते हुए कहा कि भाजपा अध्यक्ष कोई भी बने, हम लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि विष्णुदेव साय को 1 दिन बाद हटा सकते थे। आज आदिवासी दिवस है। सीएम के इस बयान पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा कि विष्णुदेव साय के अनुभव का पार्टी उपयोग करेगी। भाजपा देश और प्रदेश में आदिवासियों का सम्मान करती है। अरूण साव के नेतृत्व में बीजेपी की जीत होगी।
जब से मोदी और शाह की जोड़ी आई है तब से केंद्रीय भाजपा का हर एक निर्णय पूरी रणनीति के साथ लिया जाता है। जो सार्वजनिक होने पर सबको चौंका देता है। ऐसे में एक बार फिर से अरूण साव को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी देकर इस रेस में शामिल नेताओं के साथ ही अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है। अब देखना होगा अरुण साव के नेतृत्व वाली छत्तीसगढ़ भाजपा 2023 चुनाव में कोई कमाल कर पाएगी या नहीं ?
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