‘सारे’ जमीं पर.. ‘यात्रा’ से किसका लगेगा बेड़ापार? ‘पद’यात्रा वाली पॉलिटिक्स..किसे आएगी रास?

'सारे' जमीं पर.. 'यात्रा' से किसका लगेगा बेड़ापार? Chhattisgarh Congress will once again take out a padyatra from October 2

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  • Publish Date - September 26, 2022 / 11:43 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:53 PM IST

(रिपोर्टः सौरभ सिंह परिहार, राजेश मिश्रा) रायपुरः सोशल मीडिया के बढ़ते क्रेज के दौर में पिछले कुछ समय में सियासी दल भी अपनी सोशल विंग को मजबूत करने में जुटे रहे। यहां तक कहा जाने लगा कि चुनाव सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लड़े और जीते जा सकते हैं। बीजेपी हो या कांग्रेस ने चुनावी बाजी जीतने के लिए चौक चौराहे से ज्यादा फेसबुक, ट्विटर पर फोकस करना शुरू कर दिया है। लेकिन अब फिर से सभी दल सोशल से ज्यादा जमीन पर यात्राएं करते दिख रहे हैं। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बाद तो जैसे पदयात्रा पॉलिटिक्स की बाढ़ आ गई है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस जहां पदयात्रा के जरिए जनता से संवाद कर रही है ते बीजेपी कलश यात्रा के माध्यम से सरकार को अधूरे वायदों पर घेरने में जुटी है। अब सवाल ये कि ऐसा क्यों और इससे किसे ज्यादा फायदा मिल सकता है।

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सियासत ने एक बार फिर 360 डिग्री टर्न लिया है। यानी कल तक जो राजनीतिक पार्टियां चुनाव जीतने के लिए सोशल मीडिया के सहारे जीत की रणनीति में जुटी थी। अब वो सारे जमीन पर उतरकर जनता के बीच फिर से पहुंच रही है। अपने-अपने वादे और यात्रा के जरिए लोगों से जुड़ रहे हैं। इसमें सबसे ज्यादा चर्चा राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा की हो, तो छत्तीसगढ़ में पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम भी नवरात्रि के पहले दिन पदयात्रा निकाली. मरकाम की ये यात्रा कोंडागांव से शुरु हुई..जिसमें सैकड़ों कार्यकर्ता शामिल हुए।

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छत्तीसगढ़ कांग्रेस एक बार फिर 2 अक्टूबर से पदयात्रा निकालेगी। इस यात्रा के जरिए 24 हजार बूथों तक कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता पहुंचेंगे। कांग्रेस की कोशिश है कि पद यात्रा के माध्यम से बूथ तक पहुंचे..और राज्य सरकार के कामकाज प्रचार-प्रसार करे। पदयात्रा में कांग्रेस के सभी विधायक,सांसद ,पदाधिकारी और जनप्रतिनिधि शामिल होंगे। दूसरी ओर बीजेपी भी जनता से सीधा संवाद के मूड में है। पिछले दिनों महासमुंद से गंगाजल कलश यात्रा निकालकर राज्य सरकार को जनता से किए गए 36 वादों की याद दिलाई। इधऱ कांग्रेस की चुनौती के बाद BJYM ने राजनांदगांव से रायपुर तक चुनौती यात्रा निकाली। जिसके बाद पदयात्रा पर सियासत गरमा गई है।

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बहरहाल ये तो तय है कि जो पार्टी सोशल मीडिया पर अपने आप को मजबूत करने पर फोकस कर रही थी। अब वो उतनी मजबूती से जमीन पर भी अपनी बात लोगों तक पहुंचाने में जोर दे रही है। अब सवाल ये है कि पदयात्रा वाली पॉलिटिक्स के मायने क्या हैं. क्या राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने राजनीतिक पार्टियों को मजबूर कर दिया कि वो जमीन पर उतरकर जनता से सीधा संवाद करे। जाहिर है अगले साल चुनाव है ऐसे में कोई भी पार्टी रिस्क लेने के मूड में नहीं है. अब देखना है कि ‘पद’यात्रा वाली पॉलिटिक्स..किसे आएगी रास ?