Dantewada naxal attack Update: दो दिन पहले दंतेवाड़ा के अरनपुर इलाके में हुए नक्सली हमले में बड़ा खुलासा हुआ हैं। बताया जा रहा हैं की नक्सलियों ने इस पूरे हमले को सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया था। नक्सलियों ने पुलिस और सुरक्षा बलों को निशाना बनाने के लिए अपने बाल संघम के सदस्यों का इस्तेमाल किया था। पुलिस लगातार इलाके में सर्च अभियान चलाये हुए हैं। घटना की बारीकियों को जानने और दोषी नक्सलियों की पहचान करने के लिए पुलिस प्रत्यक्षदर्शियों से पूछताछ भी कर रही हैं।
इस पूछताछ और जाँच में मालूम चला हैं की लैंडमाइन ब्लास्ट की घटना को अंजाम देने में नक्सलियों के बाल संघम के सदस्य शामिल थे। पुलिस को जो जानकारी मिली हैं उसके मुताबिक़ घटना से ठीक पहले अरनपुर-जगरगुंडा मार्ग पर पड़ने वाले नाके में पुलिस की इस गाड़ी को रुकवाया गया था। जवानों की इस गाड़ी को चंदे के नाम पर रुकवाया गया था। हैरान करने वाली बात यह हैं की नाके में इस दौरान सिर्फ बच्चे ही मौजूद थे जबकि कोई भी नक्सली वहां नजर नहीं आया था। लिहाजा इस आशंका को बल मिलता हैं की विस्फोट की घटना में बाल संघम के सदस्य शामिल थे। पुलिस फिलहाल इस पूरी घटना की गहराई से जाँच पड़ताल करने में जुटी हुई हैं।
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Dantewada Naxal Attack Update: बता दें की बुधवार को दोपहर नक्सलियों ने दंतेवाड़ा जिले के अरनपुर-जगरगुंडा मार्ग पर डीआरजी से भरे एक वाहन को विस्फोट से उड़ा दिया था। इस हमले में वाहन चालक समेत डीआरजी के दस जवानों ने अपनी जान गँवा दी थी। माओवादियों के दक्षिण जोनल कमेटी के सचिव साईंनाथ ने हमले के बाद प्रेसनोट जारी किया था और इस हमले की जिम्मेदारी ली थी। नक्सलियों की तरफ से अंजाम दिए गए इस हमले के बाद प्रधानमंत्री मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और सीएम भूपेश बघेल ने संवेदना जताते हुए माओवादियों के खिलाफ हुए कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की थी।
दरअसल नक्सली सुरक्षा बलों के खिलाफ हमले और रोजमर्रा की दूसरी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए अपने दल में नाबालिक बच्चों की भर्तियां करती हैं। नक्सली इसे स्वाभाविक भर्ती बताते हैं जबकि यह स्वाभाविक न होकर जबरन भर्तियां होती हैं। नक्सली बच्चो को जबरन उनके घरों से उठाकर अपने साथ जंगलों में ले जाते हैं। ज्यादातर नक्सलियों की भर्ती इसी तरीके से होती रही हैं। आत्समर्पित नक्सली बताते हैं की उन्हें बचपन में ही उनके परिवार से अलग कर दिया गया था। नक्सली इन्ही नाबालिकों को बाल संघम का सदस्य कहते हैं। बाल संघम के सदस्यों का इस्तेमाल ज्यादातर सांस्कृतिक गतिविधियों में, संदेशवाहक के तौर पर और छुटपुट घटनाओ को अंजाम देने के लिए करते हैं।