रायपुरः देश में EVM पर बहस नई नहीं है, लेकिन विपक्षी गठबंधन ने, खासतौर पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इस पर नए सिरे से बहस छेड़ दी है। बीजेपी इसे कांग्रेस की पुरानी आदत, हार की खीज और हार का बहाना बता रही है। कांग्रेस सवाल उठा रही है कि बीजेपी सिर्फ और सिर्फ EVM से ही चुनाव कराने पर क्यों आमादा है? क्या वो बैलेट पेपर से जीत नहीं सकते हैं? इन सबसे इतर सवाल है कि नतीजों के इतने दिनों बार फिर छिड़ी इस बहस के क्या मायने हैं? क्या वाकई EVM की निष्पक्षता को रिव्यू करने की जरूरत है या फिर इस पर सवाल उठाकर दल कोरी सियासी पारी खेल रहे हैं?
मोदी- 3.0 का शपथ ग्रहण के 10 दिन बाद भी देश में EVM पर बहस छिड़ी हुई है। इस बार मोर्चा खोला कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने, कहा कि अगर देश में निष्पक्ष चुनाव होता तो भाजपा 100 सीटों पर सिमट जाती। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि देशभर में लगभग 100 सीटों पर भाजपा महज 2000 वोटों से जीती है। इधर, छत्तीसगढ़ में सीनियर कांग्रेसी नेता और पूर्व गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने राहुल गांधी के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि, यहां छत्तीसगढ़ में भी निष्पक्ष चुनाव नहीं हुए हैं। सरकार की इंटेलीजेंस रिपोर्ट और सर्वे ये बता रहे थे कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस कम से कम 4 से 5 सीट जीत रही है। यहां भी बीजेपी ने EVM में गड़बड़ी कर सेटिंग की…कुछ ऐसा ही राय नेता प्रतिपक्ष डॉ चरण दास महंत के भी प्रकट की है। उन्होंने कहा कि शुरूआती तीन चरणों में प्रधानमंत्री मोदी चुनाव हार रहे थे, फिर जीतना शुरू किया। ये EVM माता का ही खेल है।
जाहिर है कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी हमलावर होगी। राज्य में EVM की मेहरबानी से बीजेपी की जीत वाले बयान पर पलटवार में डिप्टी CM अरुण साव ने इस बारे में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का हवाला देते हुए,कांग्रेस को नसीहत दी कि वो अपने गिरेबान में झांके। जनता के बीच ज्यादा वक्त बिताए। वहीं, मंत्री केदार कश्यप ने भी कहा कि ये कांग्रेस की पुरानी आदत है कि हार के बाद EVM पर सवाल उठाती है।
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वैसे, EVM पर बहस नई नहीं है। दो दिन पहले ही दुनिया के नामचीन अमीरों में शुमार शख्स एलन मस्क के EVM को हैक करने वाले बयान पर बहस छिड़ चुकी है। ये भी सच है कि दुनिया के कई देशों ने EVM को छोड़ एक बार फिर बैलेट पेपर से चुनाव का विकल्प चुना है। दूसरी तरफ देश की सुप्रीम अदालत साफ कर चुकी है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में, इतनी बड़ी आबादी में चुनाव सम्पन्न कराने के लिए, नई तकनीक और आधुनिक पद्धित को अपनाना उचित है। खामियां तो हर सिस्टम में हो सकती हैं लेकिन इससे किनारा करने की जगह सुधार पर ध्यान देना समझदारी है। बहरहाल, विपक्ष का तर्क है कि सभी विपक्षी दल EVM के खिलाफ है, बैलेट से चुनाव से पूरी तरह किनारा करना बीजेपी का असल में हार से डर है। यहां सवाल है करोड़ों मतदाताओं के सिस्टम पर, चुनाव आयोग और प्रक्रिया पर भरोसा कायम रहना वो कैसे होगा? क्या इसका जवाब दलों के पास है?