भगवान राम के सिद्धांत सुशासन, सामाजिक सद्भाव और जन कल्याण की सीख देते हैं : प्रधानमंत्री मोदी
भगवान राम के सिद्धांत सुशासन, सामाजिक सद्भाव और जन कल्याण की सीख देते हैं : प्रधानमंत्री मोदी
रायपुर, एक नवंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को भगवान राम के आदर्शों और विकसित भारत के दृष्टिकोण के बीच समानता बताते हुए इस बात पर जोर दिया कि भगवान राम के सिद्धांत सुशासन, सामाजिक सद्भाव और जन कल्याण की सीख देते हैं।
नवा रायपुर अटल नगर में छत्तीसगढ़ विधानसभा के नए भवन का उद्घाटन करने के बाद सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘भगवान राम के आदर्श हमें सुशासन का सार सिखाते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारा छत्तीसगढ़ भगवान श्रीराम का ननिहाल है। भगवान श्रीराम इस धरती के भांजे हैं। आज इस नए परिसर में श्रीराम के आदर्शों को याद करने का इससे बेहतर दिन और क्या होगा। भगवान राम के आदर्श, हमें सुशासन की सीख देते हैं।’’
मोदी ने कहा, ‘‘अयोध्या में राममंदिर की प्राणप्रतिष्ठा के समय, हम सभी ने देव से देश और ‘राम से राष्ट्र’ का संकल्प लिया था। हमें याद रखना है, राम से राष्ट्र का अर्थ है- ‘‘रामराज बैठे त्रैलोका। हरषित भए गए सब सोका।’’
उन्होंने कहा कि इस चौपाई का अर्थ है, सुशासन और जनकल्याण का राज, जिसका मतलब है कि सबका साथ, सबका विकास की भावना से शासन। उन्होंने कहा, ‘राम से राष्ट्र का अर्थ है, ‘नहिं दरिद्र कोउ, दुखी न दीना। जहां कोई ना गरीब हो, ना कोई दुखी हो, जहां भारत गरीबी से मुक्त होकर आगे बढ़े।
उन्होंने कहा, ‘‘राम से राष्ट्र का अर्थ है- अल्पमृत्यु नहिं कवनिउ पीरा। यानी, बीमारियों से असमय मृत्यु ना हो, यानी स्वस्थ और सुखी भारत का निर्माण हो, राम से राष्ट्र का मतलब है- मानउं एक भगति कर नाता। अर्थात हमारा समाज ऊंच नीच के भाव से मुक्त हो, और हर समाज में सामाजिक न्याय की स्थापना हो।”
उन्होंने कहा, ”राम से राष्ट्र का एक अर्थ ये भी है कि, “निसिचर हीन करउं महि, भुज उठाइ पन कीन्ह”। यानी, मानवता विरोधी ताकतों का, आतंक के विनाश की प्रतिज्ञा! और यही तो हमने ऑपरेशन सिंदूर में देखा है। भारत, आतंक के विनाश की प्रतिज्ञा करके आतंकियों की कमर तोड़ रहा है। भारत आज नक्सलवाद, माओवादी आतंक को भी समाप्त करने की तरफ बढ़ रहा है। भारत आज अभूतपूर्व विजय के गर्व से भरा हुआ है। और गर्व की यही भावना, आज छत्तीसगढ़ विधानसभा के इस नए परिसर में हमें चारों तरफ दिख रही है।”
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि लोकतंत्र में कर्तव्य को सर्वोपरि रखते हुए, हम सब सार्वजनिक जीवन में अपनी भूमिका निभायें, यह संकल्प लेना ही नए विधानसभा भवन के लोकार्पण के इस अवसर के सबसे बड़ी सार्थकता होगी।
भाषा संजीव शफीक रंजन
रंजन

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