रायपुर: बीते कई दिनों से कांग्रेस में मची हलचल के बाद, जब प्रदेश प्रभारी छत्तीसगढ़ पहुंचे तो कई सवाल उठने लगे। कई महीनों बाद जब छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यकारिणी की बैठक हुई तो भी कई तरह के कयास लगाए गए, लेकिन बैठक के बाद सामने आया कि 2023 विधानसभा चुनाव जीतने के लिए प्रदेश कांग्रेस प्रभारी पीएल पुनिया ने अभी से संगठन और विधायकों के बीच बेहतर तालमेल को लेकर मंथन किया और कुछ निर्देश दिए। इधऱ, भाजपा ने एक बार फिर कांग्रेस में अराजकता का माहौल बताते हुए सत्तापक्ष को घेरा। लेकिन बड़ा सवाल ये कि मौजूदा हालात में क्या कांग्रेस के भीतर की कवायद के बाद कार्यकर्ता 2018 की तरह पूरे उत्साह से एकजुट होकर पार्टी के लिए जुट सकेंगे?
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छत्तीसगढ़ में 2023 विधानसभा चुनाव से पहले सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी किसान, गरीब, मजदूर और आदिवासी वर्गों को पार्टी से जोड़े रखना चाहती है। पार्टी का दावा है कि राज्य की 60 प्रतिशत से ज्यादा आबादी के लिए सरकार के कामों की बदौलत कांग्रेस अगले विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करेगी। लेकिन कांग्रेस पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती है सत्ता और संगठन के बीच सामांजस्य। विधाय़कों और मंत्रियों का तालमेल, आम कार्यकर्ताओं के मुद्दे पर वक्त रहते सुनवाई। इन्हीं मुद्दों पर कार्यकारिणी बैठक में प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल औऱ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम की मौजूदगी में इन समस्याओं को दूर करने की बात कही। दरअसल, पहले भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने विधायकों की शिकायत पुनिया से की थी, जिसके बाद दिए गए निर्देशों का पालन कराने को लेकर फिर से मथंन किया गया।
इधऱ, कांग्रेस नेताओं के असंतोष को लेकर अक्सर सत्तापक्ष को घेरने वाली भाजपा एक बार फिर कांग्रेस पार्टी में खींचतान पर कटाक्ष कर रही है। जाहिर तौर पर लंबे समय बाद प्रदेश में बनी कांग्रेस सरकार से आमजन के साथ-साथ पार्टी नेताओं को भी काफी उम्मीदें हैं, जिनके पूरा ना होने पर कार्यकर्ताओँ का गुस्सा और असंतोष पार्टी की मुश्किलें बढ़ा सकता है। इसी पर लगाम कसने कांग्रेस पार्टी ने अभी से अपने नेताओं और कार्य़कर्ताओं की नाराजगी दूर कर। मिशन 2023 के लिए तैयारी तेज कर दी है। बड़ा सवाल ये निर्देशों पर अमल कितना होता और इसका जमीनी असर कितना हो पाता है?