2023 में ‘कृष्ण-राम’… आएंगे किसके काम? क्या सियासी भक्ति पर एकाधिकार टूटते देख तिलमिला रही भाजपा?

Seeing breaking of the monopoly on political devotion, BJP was stunned

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  • Publish Date - May 10, 2022 / 11:19 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:52 PM IST

रायपुर/भोपालः मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में 2023 में विधानसभा चुनाव हैं। कांग्रेस हो या भाजपा कोई भी इस बार सियासी रिस्क लेना नहीं चाहते हैं। कांग्रेस और भाजपा दोनों एक दूसरे की ताकतों पर प्रहार कर रहे हैं। मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी ने रामनवमी और हनुमान जंयती पर हनुमान चालीसा के पाठ के बाद मंगलवार को सीता जन्मोत्सव मनाया तो छत्तीसगढ में भूपेश सरकार ने राम-गमन-पथ पर पड़ने वाले स्थानों के संपूर्ण विकास के साथ-साथ अब आने वाली जन्मष्टमी से शहरी क्षेत्रों में कृष्ण कुंज स्थापित करने का ऐलान कर दिया। जिसके बाद तीखे तंजों के साथ सवाल उठा कि कांग्रेस इतने सालों में सीता जन्मोत्सव अब क्यों मना रही है। जवाब में फिर सवाल उठा कि भला कांग्रेस के सीता जन्मोत्सव से भाजपा को क्या दिक्कत है।

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इधर छत्तीसगढ में राम-वन-गमन पथ के विकास के बाद अब जन्माष्टमी से शहरों में कृष्ण कुंज स्थापित होंगे। भाजपा ने सवाल उठाया कि क्या हार के डर से राम-कृष्ण याद आ रहे हैं। पलटवार में फिर सवाल उठा कि क्या राम-कृष्ण-शिव पर भाजपा का कॉपीराइट है। इन सब के बीच बड़ा सवाल ये कि क्या सत्ता के सिंहासन तक पहुंचने के लिए राम-सीता-कृष्ण का भक्ति मार्ग अपनाया जा रहा है। सवाल ये भी क्या सियासी भक्ति पर एकाधिकार टूटते देख भाजपा तिलमिला रही है?