चुनावी साल में ‘Target Killing’, लाल आतंक या सियासी साजिश? किसकी साजिश क्या मंसूबा ?
चुनावी साल में 'Target Killing', लाल आतंक या सियासी साजिश : 'Target Killing', red terror or political conspiracy in election year? Whose conspiracy, what plan?
रायपुर । छत्तीसगढ़ की बात में आपका स्वागत है। 11 फरवरी को दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने पूर्व सरपंच रामधर की गला रेतकर हत्या कर दी। इसके ठीक एक दिन पहले 10 फरवरी को नारायणपुर के छोटे डोंगर में बीजेपी के जिला उपाध्यक्ष सागर साहू की गोली मारकर हत्या की गई। 5 फरवरी को बीजापुर के आवापल्ली में मंडल अध्यक्ष नीलकंठ कक्केम को नक्सलियों ने मार दिया। यानी एक हफ्ते में बीजेपी के 3 नेताओं की हत्या कर दी गई। बस्तर का ये मामला लोकसभा तक पहुंच गया है। बीजेपी इसे टारगेट किलिंग बताकर साजिश के आरोप लगा रही है जबकि कांग्रेस इन आरोपों को खारिज कर रही है। इसी मुद्दे पर डिबेट के लिए हमारे साथ जुड़ रहे हैं 3 कद्दावर मेहमान।
छत्तीसगढ़ में नक्सली एक बार फिर सिर उठाने लगे हैं। बीते एक हफ्ते में बीजेपी के 3 नेताओं की हत्या के बाद लाल लड़ाकों के आतंक से बस्तर सहम सा गया है। बीजेपी नेता इन हत्याओं को टारगेट किलिंग करार दे रही है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने इस मुद्दे को लोकसभा में उठाया.. साजिश का आरोप लगाया और सुरक्षा की मांग की।
बीजेपी के आरोपों को प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया है। सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि उनसे ज्यादा सुरक्षा पूर्व सीएम रमन सिंह की है। इसके साथ ही उन्होंने बीजेपी पर पलटवार किया कि सुरक्षा हटाने का काम बीजेपी सरकार करती है। करीब एक दशक पहले इसी तरह चुनावी माहौल में 25 मई 2013 को झीरम घाटी में कांग्रेस की परिवर्तन रैली पर नक्सली हमला हुआ था, जिसमें कांग्रेस की टॉप लीडरशिप सहित 32 लोग मारे गए थे। अब कांग्रेस की सरकार है और नक्सली चुन-चुन कर बीजेपी नेताओं की हत्या कर रहे हैं। सवाल है कि क्या नक्सली फिर से अपनी जड़ें मजबूत करने में लगे हैं.. आखिर इस लाल आतंक से छुटकारा कब मिलेगा ?

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