नेताओं के बिगड़े बोल…अफसरों का बजता ढोल! आखिर क्यों आपे से बाहर हो रहे जनप्रतिनिधि?

नेताओं के बिगड़े बोल...अफसरों का बजता ढोल! आखिर क्यों आपे से बाहर हो रहे जनप्रतिनिधि?! Why Political Leaders cross the Line in Chhattisgarh

नेताओं के बिगड़े बोल…अफसरों का बजता ढोल! आखिर क्यों आपे से बाहर हो रहे जनप्रतिनिधि?
Modified Date: November 29, 2022 / 07:59 pm IST
Published Date: December 25, 2021 10:53 pm IST

रायपुर: Why Political Leaders cross the Line  पिछले कुछ समय से प्रदेश में जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के बीच तालमेल की कमी नजर आ रही है। इस स्थिति में अधिकारियों पर जनप्रतिनिधि भारी पड़ते नजर आ रहे हैं। जनप्रतिनिधियों द्वारा अधिकारियों को गाली-गलौज और धमकी तो पुरानी बात हो गई है। अब नेता अफसरों को मारने के लिए चप्पल भी उठा रहे हैं। आखिर छत्तीसगढ़ में इस तरह की स्थितियां क्यों बन रही है? क्यों आपे से बाहर हो रहे हैं जनप्रतिनिधि? क्या इसके लिए अफसरों का रवैया जिम्मेदार है और अगर ऐसा है भी तो किसी को चप्पल मारने के लिये उठाना कितना जायज है?

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Why Political Leaders cross the Line  अलग-अलग घटनाएं महज उदाहरण हैं, जो बताती हैं कि प्रदेश में जनप्रतिनिधि किस तरह काम करने अधिकारियों पर दबाव डालने की कोशिश कर रहे हैं। चाहे वो कांग्रेस हो बीजेपी या फिर किसी दूसरे दल का जनप्रतिनिधि। ताजा मामला मुंगेली जिले का है, यहां जिला पंचायत के सीईओ IAS रोहित व्यास को सैंडल से मारने की कोशिश जिला पंचायत सदस्य लैला ननकू भिखारी ने की है। घटना की वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद छत्तीसगढ़ के IAS एसोसिएशन के पदाधिकारी सक्रिय हो गए हैं। मुख्य सचिव से मुलाकात कर जिला पंचायत सदस्य के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है, तो जिला पंचायत के अध्यक्ष और सदस्य भी अधिकारी के खिलाफ लामबंद हो गए हैं। दोनों पक्षों ने एक दूसरे के खिलाफ थाने में शिकायत भी की है।

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मामले ने तूल पकड़ा तो इस पर सियासत भी शुरू हो गई है। बीजेपी पूरी घटना के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है। पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस के शासन काल किसी की सम्मान करने की परंपरा नहीं रही। दूसरी ओर सत्ता पक्ष की तरफ से रविंद्र चौबे ने कहा कि कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका सभी का काम बंटा हुआ है। सभी को अपनी सीमाओं में रहकर काम करना चाहिए।

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जाहिर है जनप्रतिनिधि और अफसर जनता के हित और सुविधाओं के लिए काम करते हैं। अगर दोनों के बीच सामंजस्य नहीं होगा तो सबसे ज्यादा नुकसान जनता का ही होगा। मुंगेली जैसी घटना आगे न हो इसके लिए नेता और अफसर दोनों को आत्मावलोकन करने की जरूरत है। लेकिन मुंगेली की घटना से सवाल जरूर उठ रहा है कि क्या किसी जनप्रतिनिधि को ये हक है कि वो मर्यादा तोड़कर मारपीट करें। अगर वो ऐसा करता है, तो क्या उस पर कड़ी कार्रवाई नहीं होनी चाहिए?

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