महिला स्व सहायता समूह लिख रही हैं सफलता की कहानी, मुर्गी पालन से संवरी जिंदगी, 9 लाख 19 हजार 882 रूपये का आय किया अर्जित
महिला स्व सहायता समूह लिख रही हैं सफलता की कहानी, मुर्गी पालन से संवरी जिंदगी! Women self help group writing success story
महासमुंद। Women self help group writing success story जिले के विकासखण्ड बसना में गठित लक्ष्मी महिला स्व सहायता समूह ग्राम ठूठापाली की सदस्यों ने गोठान से जुड़कर आर्थिक समृद्धि की एक नई इबारत लिखी है ।समूह की 10 महिलाओं द्वारा वर्मी कंपोस्ट निर्माण ,सब्जी उत्पादन और मुर्गी पालन अपनाकर अपने आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाकर स्वावलंबन की मिसाल कायम की है। लक्ष्मी महिला स्व सहायता समूह के 10 सदस्यों द्वारा ग्राम गौठान में वर्ष 2019-20 से कुल गोधन क्रय 5392.09 क्विंटल किया गया है। जिसे स्व सहायता समूह को हस्तातंरित होने पश्चात् वर्ष 2019-20 से आज तक सुपर कम्पोस्ट खाद 802.00 क्विंटल एवं वर्मी कम्पोस्ट खाद 1296.80 क्विंटल, कुल 2098.80 क्विंटल खाद् उत्पादन किया गया है।
Read More: नवविवाहिता ने फांसी लगाकर की आत्महत्या, 4 महीने पहले ही घर से भागकर की थी शादी
Women self help group writing success story छत्तीसगढ़ शासन के मानक स्तर 40 प्रतिशत की दर के विरुद्ध लक्ष्मी महिला स्व सहायता समूह के सदस्यों द्वारा लगभग 37.83 प्रतिशत खाद् का उत्पादन किया गया है। जिसके फलस्वरूप स्व सहायता समूह को निर्मित खाद का लाभांश राशि 6 लाख 23 हजार 32 रूपये की प्राप्ति हुई है। इसके साथ-साथ स्व सहायता समूह के सदस्यों द्वारा गौठान में सब्जी बाड़ी एवं मुर्गी पालन का कार्य करते हुए परिवार की आर्थिक स्थिति को काफी मजबूत किया गया है।
Read More: नए संसद भवन के उद्घाटन पर जारी होगा 75 रुपए का सिक्का, जानें क्या होगी इसकी खासियत
लक्ष्मी महिला स्व सहायता समूह के सदस्यों द्वारा वर्मी खाद् के अलावा सब्जी बाड़ी एवं मुर्गी पालन से भी अच्छी आमदनी हो रही है। सब्जी बाड़ी से 34 हजार 450 रूपये एवं मुर्गी पालन से 2 लाख 62 हजार 400 रूपये आय प्राप्त हुआ है। इस तरह समूह को कुल आय 9 लाख 19 हजार 882 रूपये अर्जित हुआ है।
उक्त गतिविधियों में शामिल होने के कारण सहायता समूह को चक्रिय निधि की राशि 15 हजार रूपये एवं सामुदायिक निवेश कोष की राशि 60 हजार रूपये व बैंक क्रेडिट लिंकेज के माध्यम से 2 लाख 50 हजार रूपये की ऋण राशि प्राप्त हुई जिसे वे आय मूलक गतिविधियों में लगा रहे हैं। लक्ष्मी महिला स्व सहायता समूहों के सदस्यों द्वारा बताया गया कि “बिहान“ एवं गोठान से जुड़ने के पूर्व उनकी स्थिति बंद दरवाजा में रहकर घर संभालने एवं बच्चों के लालन पालन एवं अन्य गृह कार्य में सिमट कर रह जाती थी। किन्तु गोठान में जुड़ने के बाद हमारी आर्थिक स्थिति में काफी ज्यादा सुधार आया है। साथ ही साथ आज ग्रामीण स्तर पर शासन की योजनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त कर उनके प्रति कार्य करने एवं अपनी बातों को ग्रामीण जन समुदाय में स्पष्ट रूप रख पाने में सक्षम हो पाये हैं।

Facebook



