भारी पड़ रही नीलामी! क्या धान की नीलामी सरकार को भारी पड़ रही?

भारी पड़ रही नीलामी! क्या धान की नीलामी सरकार को भारी पड़ रही?

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  • Publish Date - March 5, 2021 / 05:16 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:55 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में सरकार के निर्देश के बाद धान नीलामी की प्रक्रिया शुरू हो गई है, लेकिन जहां-जहां नीलामी शुरू हुई वहां बीडर्स MSP के आधी कीमत पर भी धान खरीदने को तैयार नहीं हैं। धान की अधिकतम कीमत 11 सौ तक गई है। इसके बाद रेट निर्धारण को लेकर धान मंत्रिमंडलीय उप समिति की बैठक हुई। बैठक में विभिन्न जगहों से आए रेट को लेकर समीक्षा की गई, साथ ही दावा किया गया कि उचित रेट में धान की नीलामी होगी। बावजूद इसके अगर इन्हीं दरों पर नीलामी होती रही तो राज्य सरकार को करोडों रुपए का चूना लगना तय है। ऐसे में सवाल है कि क्या धान की नीलामी सरकार को भारी पड़ रही?

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धान की बंपर खरीदी के बाद में प्रदेश में इसकी नीलामी शुरू हो गई है। इस प्रकिया में राज्य सरकार को नुकसान उठना पड़ सकता है। ये हम नहीं बल्कि खुद अधिकारी बता रहे हैं। दरअसल राज्य सरकार केंद्र और राज्य के कोटे में चावल जमा करने के बाद शेष साढ़े 20 लाख मीट्रिक़ टन धान नीलामी करने जा रही है। लेकिन इस प्रक्रिया से सरकार को लगभग ढाई से 3 हज़ार करोड़ रुपए का नुक़सान हो सकता है, क्योंकि बिडरों ने तीन वेराइटी की धान ख़रीदने के लिए 1100 से 1400 सौ रुपए तक के रेट डाले हैं जबकि छत्तीसगढ़ सरकार एक क्विंटल धान पर किसानों को MSP और राजीव गांधी किसान न्याय योजना के साथ 25 सौ रुपया दे रही है। राज्य के अधिकांश संग्रहण केंद्रों में धान का उठाव नहीं हो पाया है। ऐसे में परिवहन ख़र्च पर ही सरकार को करोड़ों रुपया ख़र्च करने पड़ेंगे। लिहाजा सरकार ने संबंधित जगहों पर स्टोरेज के लिए ज़िलों से ही धान नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

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नीलामी की दरें कम होने से किसान परेशान हैं, क्योंकि समर्थन मूल्य पर बेचने के बाद घरों में बचा धान, जिसे वे बाजार में 14 सौ से 15 सौ रुपए क्विंटल पर बेचने वाले थे, जो बमुश्किल अब 800 से 900 रुपए क्विंटल में बिकेगा। मिलर्स को सरकार से कम दरों पर धान मिल रहा है, लिहाजा वो भी अधिक कीमत पर किसानों का धान खरीदने से बच रहे हैं।

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धान नीलामी को लेकर प्रदेश में आरोप-प्रत्यारोप की सियासत भी तेज है हो गई है। कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि सरकार अपने वादे के अनुसार किसानों का धान 25 सौ रुपए में खरीद रही है, साथ ही उन्होंने स्वीकार किया कि इस प्रक्रिया से नुकसान तो होगा। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार न तो हमारा FCI में चावल कोटा बढ़ा रही है और न ही एथेनॉल प्लांट लगाने की अनुमति दे रही है, जिसपर पूर्व कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने पलटवार किया कि सरकार की अक्षमता है कि सही समय में धान को नहीं बेच रही है।

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बहरहाल राज्य सरकार ने समितियों में रखे धान की नीलामी करने के निर्देश दे दिए हैं, लेकिन बीडर्स समर्थन मूल्य से आधी कीमत पर भी धान खरीदने को तैयार नहीं हैं। सरकार भले समीक्षा कर उचित रेट पर धान नीलामी का दावा कर रही है। लेकिन इन्हीं दरों पर अगर आगे भी नीलामी होती रही तो राज्य सरकार को करोडों का चूना लगना तय है।

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